तुम भूल गए
हम कुछ नही भूले
बस भूल गए वे रास्ते
जिन रास्तों से होकर
तुम आया जाया करते थे।
बस भूल गए वे रास्ते
जिन रास्तों से होकर
तुम आया जाया करते थे।
हम कुछ नही भूले
बस भूल गए वो दिन
जिन दिनों हम तुम एक दूसरे के
बाहों में हाथे डालकर घुमा करते थे।
हम कुछ नही भूले
बस भूल गए वे शामे
जिन शामों में हम तुम
नदी तीरे बैठ घण्टों वक्त गुजारा करते थे।
बस भूल गए वे शामे
जिन शामों में हम तुम
नदी तीरे बैठ घण्टों वक्त गुजारा करते थे।
हमे आज भी सब याद है
बस तुम भूल गए।
बस तुम भूल गए वो रास्ते
जिन पर, हमसे मिलने के बहाने
बिना काम के भी आया जाया करते थे।
तुम भूल गए वो दिन
जब अपनी बाहें, हमारे हाथों में डालने के बहाने
बड़ी दूर तक पैदल ही सफ़र पर निकल जाया करते थे
तुम भूल गए वो शामें
जब नदी के तीरे बैठ शाम बिताने के लिए
घर से कोई न कोई झूठ बोलकर निकल जाया करते थे
हमे आज भी सब याद है
बस आप ही सब भूल गए
हमारे न होकर...............
आप किसी और के जो हो गए।
-BLOGGER अjay नायक
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