ये मंजिले हैं, मुसाफिरो की
AJAY NAYAK
October 16, 2021
ये मंजिले हैं, मुसाफिरो की ये मंजिले हैं, मुसाफिरो की तू मुसाफिर बनकर, चल चला चल! आज नहीं तो कल...... इन पत्थरीलों से पटे, वीरान भरे रास...
तसलीमा नसरीन की कविताएँ, अनुवाद - गरिमा श्रीवास्तव प्रसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन की कुछ नयी कविताओं का बंगला से हिन्दी अनुवाद प्रोफ़ेसर ग...