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Saturday 16 October 2021

ये मंजिले हैं, मुसाफिरो की

ये मंजिले हैं, मुसाफिरो की 





ये मंजिले हैं, मुसाफिरो की 

तू मुसाफिर बनकर, चल चला चल!

आज नहीं तो कल......

इन पत्थरीलों से पटे, वीरान भरे रास्तों में 

तुझे, कोई न कोई पड़ाव जरूर मिलेगा!



मुझे पता है...........  

तकलीफें बहुत हैं इन रास्तो में

घुमावदार, टेढ़े-मेढ़े, ऊपर-निचे रास्ते जो हैँ!

लेकिन मुझे ये भी पता है........ 

सफर का मजा इसी सफर में मिलेगा!



अरे!  दोस्त,

आसानी से कुछ भी नहीं, मिलता यहाँ 

बहुत कुछ इसके लिए, 

है खोना पड़ता यहाँ। 


मैं जानता हूँ तुझे 

तू कभी नहीं हारता हिम्मत,

देखें हैं तुझे बड़े ही करीब से 

है तू आत्मविश्वास से लबालब। 



बस इतना कहूंगा, सबर रख, 

थोड़ा ही सही, मिलेगा जरूर

आज नहीं तो कल......  

अपनी मंजिल को पायेगा जरूर!


ये मंजिले हैं, मुसाफिरो की 

तू मुसाफिर बनकर, चल चला चल!

BLOGGER अjay नायक

www.nayaksblog.com 


3 comments:

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