जीवन भी एक रंग मंच ही है. जहाँ hm सभी कोई न कोई किरदार को धारण किये हुए हैँ. और किसी न किसी किरदार को जीवंत कर रहें हैँ. हाँ ये हो सकता है कि कोई अच्छा किरदार तो कोई बुरा किरदार को आत्मसात कर रहा होगा. लेकिन जीवन के इस रंगमंच कि दुनिया में जिसे जो किरदार मिल जा रहा है वो अपने आपको उस किरदार में सेट कर लेने की एक ईमानदार कोशिश कर रहा है. जिसमे कुछ सफल होकर जीवन के रंगमंच की दुनिया में अपने नाम को इतिहास के पन्नो में सुनहरे अक्षरों में लिखवा लेते हैँ. और जो सफल नहीं हो पाते हैँ वें गुमनामी की अँधेरी दुनिया में खोते चले जाते हैँ. भले ही उनका किरदार क्यों न सबसे अच्छा रहा हो.
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