आजादी के मायने
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आज हम 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। आज से 79 वर्ष पहले आज ही के दिन हमारा भारत देश १५० वर्ष हमपर शासन करने वाले अंग्रेंजो से आजादी प्राप्त की थी। उनसे पहले जो हमारे देश में राजतन्त्र और समाजिक गुलामी थी, उससे भी हमें उसी दिन आजादी मिली थी। अंग्रेजों ने हमें सीधे तौर पर गुलाम बनाकर रखा हुआ था और उसके पहले के बहुत से राजतन्त्र ने सीधे नहीं तो मौखिक रूप से हमें गुलाम बनाकर रखा था। राजतन्त्र के खिलाफ कुछ भी बोलने की आजादी नहीं थी। भले वो कितनी भी गलती क्यों करें। योग्य है या नहीं एक राजा का उत्तराधिकारी उसका बेटा ही बनता था। इन सब से हमें छुटकारा 15 अगस्त 1947 से मिली थी। इसलिए हम उस दिन से 15 अगस्त के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं।
आपको पता है हम आजादी दिवस क्यों मनाते हैं ? ज्यादातर यही उत्तर देंगे या देते हैं कि हमे आज के दिन अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिली थी। ये सही भी है लेकिन अगर उसके आगे सोचे तो हम किन कारणों से किसी के गुलाम बने वह बात कभी हम भूले नहीं। इसलिए भी स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष मनाया जाता है। देशी विदेशी आक्रांताओं ने हमें सिर्फ शारीरिक रूप से गुलाम ही नहीं बनाया या हमे ख़त्म ही नहीं किया। उन्होंने हमारे सामाजिक ताने बाने को भी धीरे धीरे करके खतम कर दिया। हमें मानसिक रूप से भी गुलाम बना दिया था। उन्होंने हम पर इस प्रकार से प्रहार किया की हमें पता भी नहीं चला की हम अपनी उन्नत संस्कृति को, जिसका एक समय में पुरे विश्व में डंका बजता था। हम उसे अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानने लगे!
अगर हम पुराने इतिहासकारों और विदेशी यात्रियों की लेखनी को पढ़ते हैं तो हमें पता चलता है कि एक समय में हम सबसे समृद्धशाली देश थे। हड़प्पा और मोहनजोदड़ों की खुदाई में मिले अवशेषों से ये सिद्ध भी हुआ। आप सभी को पता होना चाहिए की समृद्धशाली देश वही हो सकता है जिसके समाज में समरसता होगी। जहाँ भाईचारा होगा। जहाँ ज्ञान विज्ञान होगा। जहाँ हर किसी के पास उसके अधिकार होंगे। जहाँ किसी प्रकार की कोई रोटोक नहीं होगी। वहीँ पर समृध्शाली शब्द ठीक से बैठता है। जहाँ पर ये शब्द बैठता है वही देश समृद्धशाली देश कहलाता है । अगर वहां पर ये सब नहीं होगा तो कोई भी देश समृद्धशाली नहीं हो सकता है। चाहे वह देश कितना भी प्रयत्न कर ले खुद को समृद्धशाली सिद्ध करने के लिए।
अगर आज के परिवेश में देखें तो आप अमेरिका के साथ सभी पश्चिम के देशों का उदहारण ले सकते हो। आज यानि वर्तमान में वे इसलिए समृद्धशाली हैं की उनके देश में ये सब चीजें लगभग हैं। उन्होंने समय के अनुसार इसपर कार्य किया और उसका परिणाम हमें उनके समृद्धशाली के रूप में दिखता है। वहां पर लोग एक साथ रहते हैं। लोग एक दूसरे का सम्मान करते हैं। सम्मान सिर्फ हैसियत के हिसाब से नहीं करते हैं उनके काम के हिसाब से भी करते हैं। वहां किसी को ऊँचे या निचे के हिसाब से नहीं देखा जाता है और न ही परखा जाता है। सभी को एक बराबरी के हिसाब से देखा जाता है। इसलिए वे समृद्धशाली हैं। और ये चीज जिस जिस देश के पास होगी वो सभी देश समृद्धशाली होंगे। कभी हमारा देश भी इसलिए समृद्धशाली था।
कभी भारत के पास भी ये सब चीजे थी। इसलिए हमारा देश समृद्धशाली देश कहलाता था। तभी तो बाहरी लुटेरे इसकी तरफ आकर्षित हुए बिना नहीं रहते थे। भारत देश एक समय में इतना समृद्धशाली था की हमारे यहां नालंदा, तक्षशीला और विक्रमशीला नाम के तीन विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय थे। जहाँ पर भारत भर के ही नहीं अपितु विश्वभर के देशों के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। नालंदा में ही एक बहुत बड़ी लायब्रेरी थी। जहाँ पर सभी तरह की पुस्तके थी जो पुराने भारत में अनेक महिर्षियों के द्वारा लिखी गयी थी। विक्रमशीला तंत्र शिक्षा के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्द था। विश्व के विद्यार्थी यहाँ पर तंत्र शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। इसके आलावा भी भारत में और भी विश्वविद्यालय थे जो किन्ही किन्ही चीजों के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध थे। ये हमारे गौरव के प्रतीक थे। हमारी पहचान थी। हमारी समृधता का पताका थी।
आक्रांताओं ने हमे लुटा ही नहीं उन्होंने हमारे गुरुर को भी एक नियोजन बद्ध तरीके से मीठा जहर दे देकर लुटा। और इसप्रकार से उसपर काम किया की हम अपने देश के इतिहास के खिलाफ हो गए। जिसका नतीजा आज भी हम किसी न किसी विवाद के रूप में देखते हैं। आक्रांताओं ने पुरे दुनिया को बतलाया कि किसी को सिर्फ धनबल से कमजोर नहीं किया जा सकता है। किसी को कमजोर करना है तो उसका उसके समाज में होना ही प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दें। ताकि वह समय के अनुसार जैसे ही आगे बढे खुद पर या तो खुद से सम्बंधित लोगों पर ऊँगली उठाये। और हम आजादी देकर भी ऐसे लोगों पर वर्षों तक राज कर सकते हैं। उसकी संस्कृति को ही वो सभी समस्याओं का जड़ समझे। विवाद सुलझाने की जगह वो विवाद में और उलझता जाए और उसे आजीवन भर अहसास भी न हो। इसमें विदेशी आक्रान्ता सफल भी हुए हैं। हमारे पास इतना सम्रुधाशाली इतिहास होने के बावजूद हम उसमे कमियां निकालकर अभी जो कल ही समृद्धशाली बने हैं उन्हें अपना आदर्श समझने लगे हैं। हमें इस मानसिक गुलामी से बाहर निकलना है। तभी हम सही मायनो में आजाद कहलायेंगे। तभी हम फिर से समृद्धशाली देश बन पाएंगे।
इसके लिए हमें जाती पाती सबकुछ भूलना पड़ेगा। सामानता में विश्वास करना पड़ेगा। हर एक व्यक्ति को उसके योग्यतानुसार उसे सम्मान देना होगा। सिर्उफ सम्सेमान ही नहीं उसे स्वीकार भी करना होगा। छोटे बड़े की जगह उसके द्वारा किये गए कार्य पर ध्यान देना होगा। तभी सही मायनो में हम समृद्धशाली देश बनेंगे। सही मायनो में एक स्वतंत्र देश बनेगे। जैसे ही ये सब भूलेंगे कोई न कोई व्यक्ति, समाज, पंथ, धर्म, देश हमें फिर से अपने गुलामी की बेड़ियों में जकड़ लेगा। और हम फिर से असहाय हो जायेंगे।
आजादी इसलिए भी मनाई जाती है। ताकि हम ही नहीं आने वाली पीढ़ी भी इस बात को याद रखे की आजादी के क्या फायदे हैं? इसलिए भी हर वर्ष आजादी मनाई जाती है। ताकि आप किसी के गुलाम बनो भी तो भी आप कभी किसी के मानसिक रूप से गुलाम न बनो। जैसे ही आप को लगे की आपके के साथ ज्यादती हो रहा है आप एक स्वतंत्र देश के नागरिक है और आपको उसके खिलाफ कानून के दायरे में रहकर आवाज उठाने की स्वतंत्रता मिली हुयी है।
आईये इस 79 वां स्वतंत्रता दिवस पर शपथ लें की हम सारे बंधन ख़त्म करके फिर से भारत देश को एक समृद्धशाली देश बनाये। जहाँ हर किसी के झोली में थोडा ज्यादा जितनी भी हो वो खुशियों, सम्मान से भरी हो।
जयहिन्द
-अJAY नायक 'वशिष्ठ'
Bahut hi badiya likha hai aapne
ReplyDeleteTHANKS . आपके द्वारा दिए गए रिप्लाई ने हमें और अच्छा व और ज्यादा लिखने के लिए प्रेरित करती रहेगी . पढ़ते तो सभी हैं लेकिन जब रिप्लाई के रूप में कुछ फिर से मिलता है चाहे वो अच्छा हो या खराब वो हमें और प्रेरित करता है लिखने के लिए . एक बार फिर से आपका तहे दिल से धन्यवाद .
DeleteNice
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DeleteNice write up Ajay ji
ReplyDeleteTHANKS . आपके द्वारा दिए गए रिप्लाई ने हमें और अच्छा व और ज्यादा लिखने के लिए प्रेरित करती रहेगी . पढ़ते तो सभी हैं लेकिन जब रिप्लाई के रूप में कुछ फिर से मिलता है चाहे वो अच्छा हो या खराब वो हमें और प्रेरित करता है लिखने के लिए . एक बार फिर से आपका तहे दिल से धन्यवाद .
DeleteBeautifully conceptualized and arranged thoughts 👍
ReplyDeleteTHANKS . आपके द्वारा दिए गए रिप्लाई ने हमें और अच्छा व और ज्यादा लिखने के लिए प्रेरित करती रहेगी . पढ़ते तो सभी हैं लेकिन जब रिप्लाई के रूप में कुछ फिर से मिलता है चाहे वो अच्छा हो या खराब वो हमें और प्रेरित करता है लिखने के लिए . एक बार फिर से आपका तहे दिल से धन्यवाद .
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