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Friday 17 November 2017

स्वच्छता अभियान कितना सफल?


स्वच्छता अभियान कितना सफल?

         १७/०९/२०१७ भारत के प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदी जी के जन्म अवसर से २/१०/२०१७ महात्मा गांधी के जन्मदिवस तक १५ दिन का 'स्वच्छता ही  सेवा'  का पखवाडा मनाया गया है।  देश के विभिन्न भागो मे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम चालये गये जिसमे सरकारी, गैर सरकारी क्षेत्रो के लोगो ने भाग लिया। और ऐसा लगा की अब हमारे भारत को स्वच्छ होने से कोई नहीं रोक पायेगा। लेकिन आज लगभग २ महीनो के बाद भी हम अगर नजर घुमाकर देखते हैं तो नजारा कुछ वैसा ही दिखता है जैसे ३ साल पहले था (स्वच्छता अभियान शुरू होने से पहले ) .  हम दूर की बात ना करके अपने ही एक छोटे शहर की करते हैं।  जहाँ रहते हैं। और अगर आप को विश्वास नहीं हो रहा है तो एक बार अपने पुरे शहर पर नजर घुमा सकते हैं।   
       आप सुबह निकल जाईये आपको हर एक मुख्य सड़क के किनारे कचरा पड़ा मिलेगा।  कभी कभी रोज उठाया जाता है तो कभी कभी २-२ दिन  के अंतराल पर।  अच्छा उठाने के बाद भी कुछ कचरा पड़ा रह जाता है।  एक बात और उठाने वालों से भी महान कचरा डालने वाले होते हैं। कचरा कुण्डी ना होने की वजह से वे कचरा ऐसे ही दूर से फेक देते हैं  दूसरा उनसे भी पहले से फेक देता है।  और कचरे का स्थान बढ़ते चला जाता है।  और लोग उसके बगल से गुजरते रहते हैं और उठाने वाले और फेकने वालों को अपशब्द बोलते हुए निकल जाते हैं।  लेकिन कोई उसके उपाय के बारे में नहीं सोचता है।  कि ऐसा क्या किया जाय की यह समस्या हमेसा के लिए ख़त्म हो जाये।  ना तो वहां के रहने वाले नागरिक ही हुए ना ही स्थानिक स्वराज संस्था ही।  और समस्या जस की तस बनी रहती है।  साल में फिर से एक बार हम अपने किसी प्रिय के जन्मदिन, या  प्रिय के कहने पर झाड़ू उठा लेते हैं।  और साथ में ही बड़े बड़े भाषण दे देते हैं।  लेकिन कचरा वहीँ का वहीँ पड़ा रह जाता है। 
        अगर हमें सही में भारत को स्वच्छ बनाना है तो भारत के हर एक नागरिक को जिम्मेदारी लेनी भी पड़ेगी और उनपर जिम्मेदारी डालनी भी पड़ेगी। यहाँ के सभी स्वराज संस्थानों  पर भी जिम्मेदारी  और एक तय समय देना होगा कि आपका कार्य क्षेत्र स्वच्छ होना चाहिए चाहे वो कैसे भी हो।  अपना परिसर स्वच्छ रखना आपकी जिम्मेदारी है।  सामाजिक संस्थाओं को भी अपनी जिम्मेदारी समझकर उनसे जुड़ने वालों से समय समय पर शपथ दिलाएं की हम अपने घर ा और आस पास के परिसर को स्वच्छ रखेंगे।  कोई भी सामाजिक कार्य करेंगे उसमे सबसे पहले स्वच्छता पर बात करेंगे।  उन्हें बताएँगे की अस्वच्छता  से  कौन कौन से रोग फैलते हैं।  अस्वव्च्छता  से हमारे समाज पर कौन से प्रभाव होते हैं।  जब तक लोंगो को जागरूक  नहीं करेंगे तब तक स्वच्छ भारत का सपना साकार नहीं होगा।  अगर हम ये किसी एक की जिम्मेवारी मानेंगे तो और १०-१५ साल भारत ऐसे ही अस्वच्छ रहेगा। शायद उससे भी ज्यादा।
           सरकार को स्वस्छता पर अभी और बहुत से काम करने होंगे।  यह  एक सरकारी कार्यक्रम ना बनकर रह जाए। इसके लिए इसे सामान्य जन के पास लेकर जाना होगा।  सामान्य जन की भगीदारी जीतनी अधिक बढ़ेगी यह कार्यक्रम उतना ही जल्दी सफल होगा। इसे लोंगो के दैनदिन काम के साथ जोड़ना होगा। सर्कार को यह समझाना होगा की यह कार्यक्रम तभी सफल होगा जब विपक्ष की भागीदारी बढ़ेगी।  इसलिए सर्कार को इसमें विपक्ष के नेताओं को भी इसमें सम्मलित करना होगा।  और विपक्ष को राजनीती से ऊपर उठकर इसमें सहयोग करना होगा।  यह दोनों की जिम्मेदारी है।
             हम अगर ऐसा कर पाए तो सचमुच गांधीजी के १५०वीं जन्मदिन पर पुरे भारत को और गाँधी जी को स्वच्छता का तोहफा देंगे।  जो की गाँधी जी को बहुत प्रिय था।  सच्चे मानो में हम उन्हें अपनी और से एक सच्ची भेट दे पाएंगे। आईये भारत से अस्वच्छता का नामोनिशान मिटा दें। और मिलकर एक स्वच्छ भारत का सपना साकार करें।  आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ वातावरण में जीने के अधिकार को और बल प्रदान करें।  वे ऐसा ना कह पाए की हमारे पूर्वजों ने हमें एक अस्वच्छ भारत दिया।   
       
       
        
     

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