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Monday 4 March 2024

सिख लिया हूं

  सिख लिया हूं 





















उग्र समंदर में भी कूद जाता हूं 
लहरों के थपेड़ों से लड़ना सिख लिया हूं 

किंतु परंतु के बीच नही फसता हूं
अब तुरंत निर्णय लेना जो सिख लिया हूं 

खड़ा होता हूं और दौड़ पड़ता हूं
अब गिर, गिरकर उठना सिख लिया हूं

तम भी मुझसे खौफ खाता हैं
जूगनुओं से दोस्ती करना सिख लिया हूं 

सूर्य चंद्रमा और तारों से अपनी यारी है
सबका सम्मान करना सिख जो गया हूं 

अब मंजिल से, मैं दूर नही हूं 
क़िस्मत से लड़ना जो सिख लिया हूं

–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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