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Sunday, 10 February 2019

चल, चले अपने आशियाने की ओर


चल, चले अपने आशियाने की ओर


Pic By- Ajay Nayak
शाम के समय घर लौटते हुए 


बहुत गुजार ली जिंदगी इस ओर,
चल, चले अपने आशियाने की ओर,
अब रखा ही क्या है, इस जिंदगी में,
जिसका नही है कोई भी ओर-छोर।
चल, चले अपने आशियाने की ओर।

दिल पुरे अरमानों से भरा हुआ था
ख्वाहिशों के भी, पूरा होने का विश्वास था
सब धरे से रह गए, जीवन के उस मोड़ पर,
जब सीधे रास्ते पर, अंधे मोड़ से टकरा गया।
चल, चले अपने आशियाने की ओर।

बहुत बातें कर लिया ज्ञान पर,
बहुत ज्ञान बाट दिया इस ओर, उस ओर,
जिंदगी ने ज्ञान का ऐसा पाठ पढ़ाया,
ना इस छोर के ज्ञानी रहे, ना इस उस ओर के।
                                                           चल, चले अपने आशियाने की ओर।

इतना कुछ होने पर भी हिम्मत रखते हैं लड़ने की,
लड़कर हारे....................................................... 
भटके हुए पथिकों को जीत का रास्ता दिखलाने की,
भले जीवन की इस खूबसूरत लड़ाई में, हम हार जाएं,
हमारी हार भी....................................................... 
भटके पथिकों को जीत का पथ दिखला जाएगी।
चल, चले अपने आशियाने की ओर।
                                                -अजय नायक
 www.nayaksblog.com

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