घुस आया था कोई हमारे सरजमीं पर
जिससे हम सभी थे अनजान।
वह, वहीं बैठ-दुबककर, कायरों की तरह,
लगा रहा था हम पर निशाना।
घुस आया था कोई हमारे सरजमीं पर।
हम थे अँधेरे में, और वे थे उजाले में,
उसी का फायदा उठाकर हमपर बरसा रहे थे गोलियाँ ।
लेकिन उन्हें इतना भी पता नहीं था,
कि उजाले के बाद अन्धेरा और अँधेरे के बाद आता है उजियारा ।
हमने भी किया इन्तजार
कब तलक नहीं निकलते हैं बाहर।
घुस आया था कोई हमारे सरजमीं पर।
हमने भी कस ली कमर,
खा कर कसम,
क्योंकि अब आ गयी थी, हमारी बारी ,
उन्हें उनकी भाषा में ही, जवाब के साथ-साथ,
घुस आया था कोई हमारे सरजमीं पर।
वह दिन भी आ गया
जब उनपर पड़ी हमारे देशभक्त चरवाहे की नजर ।
वहीँ छोड़ अपनी बकरियां
दौड़ा दौड़ा चला आया अपने रणबांकुरों को देने खबर।
हम भी थे, मौके के तलाश में,
घुस आया था कोई हमारे सरजमीं पर।
किया था उन्होंने मानवता को शर्मसार ,
हमारे वीर सपूतों के शवों को छिन्न भिन्न करके।
हमारे वीर सपूतों के शवों को छिन्न भिन्न करके।
वे भूल गए थे पिछली सभी मुलाकातों को,
हमने भी सोचा ........
भूले को रास्ता दिखलाना ही शायद सबसे बड़ा धर्म हो।
चल दिए उन्हें उनकी सही जगह दिखलाने,
जहाँ से चले थे उससे भी बहुत ही दूर पहुँचाने।
घुस आया था कोई हमारे सरजमीं पर।
हमने भी कस ली कमर,
खा कर कसम,
क्योंकि अब आ गयी थी, हमारी बारी ,
उन्हें उनकी भाषा में ही, जवाब के साथ-साथ,
पूरी दुनिया को सन्देश देने की।
प्यार से सबकुछ ले लो, कुछ नहीं बोलेंगे ,
जबरदस्ती करोगे,
प्यार से सबकुछ ले लो, कुछ नहीं बोलेंगे ,
जबरदस्ती करोगे,
तो सिकंदर की तरह खाली हाथ ही जाओगे।
घुस आया था कोई हमारे सरजमीं पर।
घुस आया था कोई हमारे सरजमीं पर।
नीव पड़ी, स्वच्छ हिमालय की।
बाहर से उड़कर आयी गंदगी को, साफ करके ही दम लेने की।
फिर शुरू हुआ जो मौत का तांडव,
जिसे देख. . . . . . . . . . . . . . . . .
लगी पूरी दुनिया थर -थर कापने ।
मचा हाय हो हल्ला, पूरी दुनिया में
कोई रोक लो भारत को भारत में।
घुस आया था कोई हमारे सरजमीं पर।
जिनके अदम्य साहस की वजह से,
सीमाएँ सुरक्षित हैं, दुश्मन के दुस्साहसी हरकतों से।
वे खुद जागकर, हमे सुलाते हैं चैन की नीद,
ये जाने बिना की,
न आने पर, उनका परिवार सोयेगा की नही रातों में।
इसलिए उनका लोहा हम ही नहीं मानते,
लोहा मनवाकर, चौथा सम्मान प्राप्त करती है पूरी दुनिया में.।
जिसे पुकारते हैं,
भारतीय सेना प्यार से।
घुस आया था कोई हमारे सरजमीं पर।
जो जा छुपकर बैठा था ऊपर चोटी पर।
-ब्लॉगर अजय नायक
www.nayaksblog.com
-ब्लॉगर अजय नायक
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Very nice 👌👌👌
ReplyDeleteThanks
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