।।चलते रहिए, बढ़ते रहिए।।
चलते रहिए, बढ़ते रहिए,
अपने मौके की काक में रहिए।
जिंदगी में हजार मौके आएंगे,
सही समय पर सही जगह पर,
हथौड़ा मारने के लिए तैयार रहिए।
सिंकन्दर तो नाम से ही सिंकन्दर था,
असली सिंकन्दर तो पुरु कहलाया।
जिस जंग में सिर्फ हार ही हार लिखा था
उस मिले मौके को भी हाथ से जाने नही दिया।
दौड़ा दौड़ा चला आयेगा इतिहास,
नाम लिखकर, अपने को अमर कर जाने के लिए।
ऐसों को पाकर इतिहास भी धन्य हो जाता है,
जो मजबूर कर देते हैं,
इतिहास के पन्नो पर नाम लिखने के लिए।
- अजय नायक
www.nayaksblog.com
👍👍👍👌👌👌
ReplyDeletethanks
Deleteबेहतरीन लिखा अजय जी... 🙏💐
ReplyDeleteशुक्रिया आकांक्षा जी
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