कुछ तो मजबूरियां जरूर रही होंगी
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कुछ तो मजबूरियां जरूर रही होंगी,
ऐसे ही थोड़ी ना, वे हमसे आंखे चुरा ली होंगी।
दिल में तूफान सा तो जरूर उठा होगा,
ऐसे ही थोड़े ना उसके रुख को मोड़ दिया होगा।
मकान भले ही सिर्फ रेत से बने हुए होंगे,
ऐसे ही थोड़े ना, उसे वे भर-भरा कर गिरा दिए होंगे।
लहरे भले ही समुंदर में विशाल उठती होंगी,
ऐसे ही थोड़े ना, मन की लहरे शांत हो गयी होंगी
एक बार, हम याद तो जरूर आये होंगे,
ऐसे ही थोड़े ना, उसे वे भरी महफ़िल में जताये नही होंगे।
जनाब दिल है जिसे सिर्फ एक बार ही दिया जाता है
ऐसे ही थोड़े ना, वे उसे कांच की तरह तोड़ दिए होंगे।
हमारा दिल आज भी उनका इंतजार कर रहा है
ऐसे ही थोड़े ना, हमे वे भी दिल से मुक्त कर दिए होंगे।
-ब्लॉगर अजय नायक
-www.nayaksblog.com
superb poem
ReplyDeleteThanks भाई
DeleteGood one 👌👌
ReplyDeleteGood one 👌👌👌
ReplyDeleteThanks
DeleteThanks
DeleteSuperb
ReplyDeleteकविता से ज्यादा फोटो पसंद आया।।
ये तो और भी अच्छी बात है।
Deleteसुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद सर
DeleteNice poem guru ji
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteNice Poem Ji
ReplyDeleteशुक्रिया जी
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