आज उनकी याद में
लिख रहा हूँ, एक नज्म
आज उनकी याद में
जो चांदनी रातों में आकर
दिल को सहला जाती हैं।
परसों उनसे चौराहें पर
जो एक, मुलाक़ात हुयी थी
आज दिल उनकी याद में
संगीत गुनगुनाये, जा रहा है।
सुबह सुबह ही हमे
उनकी एक झलक, जो आज दिखी है
बगिया में नाच रहे, मन, भावभीभोर होकर ,
मोर मोरनी को भी, मात दिए जा रहे है।
आज हमको उन्होंने
अपनी तिरछी आंखों से, जो देखा है
तन में एक आग सी, जो आग लगी हुई है
आज उसे सावन की, बरखा भी नहीं बुझा पा रही है।
बस एक और उनसे, मुलाक़ात की है जरूरी
सारी मर्ज की, वही एक रामबाण दवा है
सोच जो रखे हैं, इस मन मनवा में
उसी मुलाक़ात में, सब बोल देनी है।
लिख रहा हूँ एक नज्म
आज उनकी याद में
चांदनी रातों में जोआकर
दिल को सहला जा रही हैं
- BLOGGER अjay नायक
Nice One Ji
ReplyDeleteTHANKS DEAR
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