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Saturday 31 October 2020

"श्वासों में बसता है भारत"

"श्वासों में बसता है भारत"

 ग्रैंड मास्टर डॉ. जसबीर सिंह 



पंजाब का एक शहर कपूरथला। जो अपने अंदर सनजोये हुए एहतिहासिक धरोहरों के रूप में विश्वविख्यात शहर है।  जिसका संबंध ग्यारहवी शताब्दी से है।  जब यहां का शासन आहूवालिया राजवंश के हाथों में था। ग्यारहवीं शताब्दी के बाद कपूरथला का शासन राजस्थान के भांटी राजपूत के हाथों में आ गया। कपूरथला को 'पंजाब का पेरिस' भी कहा जाता है। कपूरथला अपने ऐतिहासिक बगीचों एवं वास्तुशिल्पकारी के अद्भुत कारगिरि से निर्मित भवनों के लिए विश्वविख्यात है।  हजारों लोग  रोज अपने आप कपूरथला की और खींचे चले आते हैं। और यहां आकर इसकी चमत्कारी वास्तु को देखकर भवभीभोर हो जाते हैं। पंजाब का वर्तमान समय का यह जिला सिर्फ वास्तुशिल्प और ऐतिहासिक शहर के रूप में ही विश्वविख्यात नहीं है। यह जिला अपनी सौंधी सौंधी मिट्टी में से ही पता नहीं कितने राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी भारत और पुरे विश्व को देने के रूप में भी जग विख्यात है। 

इसी शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में एक लड़के का जन्म होता है।  जो आगे चलकर मार्शल आर्ट की दुनिया में अपना ही नहीं अपितु पुरे भारत का नाम रोशन करता है।  और वो यहीं तक नहीं रुकता है।  आज वर्तमान समय में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के मार्गदर्शक बोर्ड का सलाहकार सदस्य भी है। लेकिन क्या आपको पता है कपूरथला जैसे एक छोटे से शहर जिसके पास अपनी ऐतिहासिक विरासत के आलावा कुछ भी नहीं था।  वहां का एक मध्यम वर्गीय परिवार का लड़का इतनी आसानी से अमेरकी राष्ट्रपति के मुख्य मार्गदर्शक मंडल तक पहुंचा होगा।  तो आपको बता दें  यह जितना आसान दिख रहा है उतना कभी था ही नहीं ।  उस लड़के को हर कदम पर एक ना एक परीक्षा देते हुए चलना पड़ा। हर कदम पर एक नयी समस्या और फिर उस समस्या का सामना करते हुए सफलता की सीढ़ी को चढ़नी पड़ी।  तब जाकर वह उस स्थान तक पहुंचा है।  जो कि हमारे आपके लिए किसी सपने से भी कम नहीं है।  लेकिन हिम्मत को अगर गमछे के किसी कोने में कसकर गाँठ ली जाए तो, हम भी अपने सपनो को पूरा करते हुए देख सकते हैं। 



हम आज बात कर रहे हैं ग्रैंड मास्टर डॉ. जसबीर सिंह जी की। जिनका जन्म पंजाब के कपूरथला शहर में हुआ था। इनके पिताजी एक सामान्य किसान थे। और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। जसबीर जी की माँ एक कुशल गृहणी थी।इनके पुरे परिवार का पुरे गाँव में बहुत ही मान सम्मान था। इनकी माँ गृहिणी होते हुए भी समय के अनुसार चलने वाली एक मजबूत महिला थी।  वो कहते हैं ना हर कामयाब आदमी के पीछे किसी न किसी महिला का हाथ होता है तो आपको बता दें जसबीर जी की सफलता और इस मुकाम तक पहुचाने में उनकी माँ का ही सबसे बड़ा हाथ है। 

जसबीर जी को बचपन में ब्रुसली की फिल्मे देखना बड़ा ही पसंद था।  वे ब्रुसली की को भी फिल्म देखना नहीं छोड़ते थे। ब्रुसली के मार्शल आर्ट्स से प्रभावित होकर उन्होंने भी मार्शल आर्ट्स सिखने का मन बनाया। और वे भी भविष्य में महान ब्रुसली की तरह ही एक महान मार्शल आर्ट्स बनना चाहने लगे।  लेकिन उस समय लोग इसे बुरी नजर से देखते थे इसके प्रति लोगों के अंदर सम्मान तो बिलकुल ही नहीं था ।  उस समय के लोंगो को लगता था कि ये सब चीजे मारपीट, गुंडा गर्दी  करने वाले बच्चे सीखते हैं।  कहीं हमारा बच्चा भी यह सब सीखकर बिगड़ न जाए।  इसलिए पिताजी इसके एकदम से खिलाफ थे।  अब चूँकि जसबीर जी ने मन बना लिया था तो उस समय जसबीर जी की माँ ने उनकी भावनाओं को समझकर उनका साथ दिया। उन्होंने ही परिवार में जसबीर की तरफ से तरफदारी की। और फिर इस प्रकार से जसबीर जी का मार्शल आर्ट्स सिखने वाले कोचिंग में प्रवेश हो गया था। जिसके लिए जसबीर जी आज भी कहते हैं की हर आदमी के तरक्की के पीछे किसी महिला का हाथ होता है।  उसी प्रकार से मेरी तरक्की और यहां तक पहुचाने में सबसे बड़ा हाथ मेरी माँ का है। 

जसबीर जी धीरे धीरे कपूरथला की एक एक गलियों से निकलते हुए आगे बढ़ते चले गए। शुरुआत में उन्होंने कपूरथला में पत्रकारिता की। और पत्रकारिता उन्होंने सिर्फ की ही नहीं उसमे उन्होंने सम्मान भी पाया।  उसी के साथ साथ उन्होंने अपने सपने मार्शल आर्ट्स को भी पूरा करने के लिए उसपर अपनी नजर गड़ाए रखी।  और फिर सफलता दर सफलता पाते हुए शिखर की उंचाईयों पर चढ़ते चले गए। आपको पता है ? उन्होंने मार्शल आर्ट्स में पी एच डी की है।  साथ में आज के युवा उन्हें फादर ऑफ मार्शल आर्ट्स कहकर सम्बोधित करते हैं। यह सब उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के बल पर पायी है। 



अपने जीवन में उन्होंने पांच वर्ल्ड मार्शल आर्ट्स चैम्पियनशिप खेला है।  और उन्हें जीता भी है। जसबीर जी ने अपने जीवन का पहला राज्यस्तरीय मैच हारा था। और शायद उन्हें उसी मैच से प्रेरणा भी मिली। और तबसे उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और सफलता दर सफलता के शिखर पर चढ़ते चली गए। सबसे पहले 8 से 10 नवंबर 2000 के बीच में इटली में हुए वर्ल्ड मार्शल आर्ट्स एंड किक बाँक्सिँग चैम्पियनशिप में उन्होंने जीत प्राप्त की। उसके बाद पेरिस में हुए वर्ल्ड ताइक्वांडो डू मूडो चैम्पियनशिप 18-19 नवम्बर 2000 तीसरा स्थान प्राप्त कर कांस्य पदक जीता।  थाईलैंड में हुए 12वें इंटरनेशनल मुयेथाई और कराटे चैम्पियनशिप 20-22 फरवरी 2001 में दुसरा स्थान प्राप्त करके सिल्वर मैडल जीता। नेपाल में हुए 8वें अंतरराष्ट्रीय कराटे एंड किक बॉक्सिंग चैम्पियनशिप 23-25 मई में तीसरा स्थान प्राप्त कर कांस्य पदक जीता। 15 मई 2005 इटली में हुए  एसोचायज़िओन सेंट्री स्पोर्टिवी अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक जीता । यही नहीं वे कोरियाई ताईक्वान्डो मार्शल आर्ट्स में भी सर्टिफाय हैं। 

जसबीर जी आज अपनी मेहनत के बल पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एडवायजरी बोर्ड के ऑफिशियल मेंबर हैं। साथ में ही राष्ट्रपति के अवार्ड आफिस के भी मेंबर हैं। वर्तमान समय में वे उत्तर दक्षिण अमेरिकी संघ ( NASAU  ) के रक्षा मंत्री हैं। इसके साथ ही साथ वे कई और देशों के अलग क्षेत्र में अपने सर्वोच्च योगदान के द्वारा वहां के उभरते हुए प्रतिभाओं को वैश्विक स्तर पर उभारने का भी प्रयास कर रहे हैं। वे कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष हैं। अपने कार्यबल पर वे कई राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और कई मिलिटरी, पीस पुलिस व पुलिस संस्थानों से भी जुड़े हुए हैं। जसबीर जी आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। बराक ओबामा के हाथों सम्मानित व्यक्ति बात करने में उतना ही सरल है जितना एक सामन्य व्यक्ति होता है।  आप आसानी से उनसे बात कर सकते है।  अगर आप सहज नहीं हो तो अपने मीठी मीठी बातों के माध्यम से वे आपको सजह कर देंगे। और फिर आप आसानी से उनसे जुड़ जाएंगे। उनका कहना है कि " संसार के हित के लिए जितना भी कर सकते हो वो सब ख़ुशी ख़ुशी करना चाहिए।"

वे अपने पीस पुलिस के माध्यम से पुलिस के शहीद होने पर उस परिवार की आर्थिक के साथ साथ जो भी मदत हो सकता है वे करते हैं। उनका कहना है कि शांति स्थापित करने का काम हमारी पुलिस करती है। उस शांति स्थापित करने के समय जिस परिवार का भी बेटा या बेटी शहीद हो जाता है तब उस परिवार पर संकटों का बादल टूट पड़ता है।  तब हमारा फर्ज बनता है कि हम उनकी कुछ मदत करे। और मैं अपने पीस पुलिस के  माध्यम से उन परिवारों तक मदत पहुंचाता हूँ। पुरे विश्व में वे मार्शल आर्ट्स को सब्जेट का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास रत हैं। उनका कहना है जबतक मार्शल आर्ट्स को पुरे विश्व के शैक्षणिक संस्थानों में सब्जेक्ट का दर्जा नहीं मिलेगा तबतलक उसे उसका सम्मान नहीं मिलेगा।



आज उनका पूरा परिवार अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहता है।  फिर भी  उनके ही शब्दों में  "श्वासों में बसता है भारत" इसलिए उन्हें जब भी मौक़ा या समय मिलता है वे अपने आप को भारत आने से रोक नहीं पाते हैं। यहां आकर वे अपनों के बिच में जाते हैं।  और उनसे वैसे ही घुल मिल जाते हैं जैसे कभी कपूरथला या भारत को छोड़कर कहीं नहीं गए हों।  उनके भारत में भी लगभग सभी राज्यों में मार्शल आर्ट्स के केंद्र चलते हैं।  और वे इसे पुरे भारत में खोलने के साथ साथ पुरे विश्व में खोलना चाहते हैं।  और इसी के कार्य में दिन रात लगे हुए हैं। और पुरे भारत के लिए ही नहीं अपितु पुरे विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर उभरे हुए हैं। उन्होंने अपने आप को सिर्फ एक मार्शल आर्ट्स तक ही रोककर नहीं रखा।  जैसे जैसे मौके मिलते गए गुरुनानक देव के जीवन और उनके कार्यों का अनुसरण करते हुए लोककल्याण के कार्यों में भी हाथ बटाते चले गए। और आज मार्शल आर्ट्स का प्रचार प्रसार करने के साथ साथ जनकल्याण के कार्य भी अपने विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से कर रहे हैं।  यही नहीं वे पत्रकारिता जगत के लिए भी विभिन्न कार्य कर रहे हैं। आज वे UNITED NATION JOURNALIST INTER GOVERMENTAL ORGANIZATION, USA  के माध्यम से उन्हें एक स्टेज पर ला रहे हैं।  एवं उनकी बातों को विश्व स्तर पर पहुंचाने का महान कार्य करने में लगे हुए हैं। 

-BLOGGER अjay नायक
www.nayaksblog.com  


 














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