मुश्किल से भरे, इस दौर मे
क्षमा मांग कर हमसे,
हमसे, हमारे नाराj होने का,
एk हक तो मत छिनिये!
पता नहीं, कितने दिन की मेरी यात्रा हैँ
पता नहीं कितने दिन की आपकी यात्रा हैँ ,
जितने भी दिन हम दोनों हैँ यहाँ पर
कम से कम उतने दिन का
मिलने का एक हक तो हमसे मत छिनिये।
इस अगर, मगर में, फसी सारी जिंदगी हैँ
उसमे भी, कभी-कभी ख़ुशी, कभी-कभी गम हैँ
इस निरजल सी धरा पर, जितने भी दिन हैँ हम
कम से कम उतने दिन.............................
हमसे, हमारी, जीने की यादों को तो न छिनिए।
हमें भी पता हैँ ...........................
आपके जीवन के बारे में,
गमो का बहुत बुरा दौर चल रहा है
लेकिन देखना, एक न एक दिन,
यह, वह, हर दौर भी बीत जायेगा।
इस चक्कर में .....................
हमसे, हमारी आपकी नातेदारी तो न छिनिये।
मुश्किल से भरे, इस दौर में
क्षमा मांग कर हमसे,
हमसे, हमारे नाराज होने का,
एक हक तो मत छिनिये!
-BLOGGER अjay नायक
अतिसुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद
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