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Monday 17 May 2021

सहारा

  सहारा 






      बहुत समय पहले की बात है। एक समन्वय नाम का जंगल था। लेकिन जैसा नाम था उस जंगल का वैसा समन्वय बिलकुल नहीं था। इसका कारण था उस जंगल के राजा दो शेर भाईयों की वजह से। जिनका नाम अचल और अखल सिंह था। दोनों भाईयों ने पुरे जंगल का तहस नहस करके रखा हुआ था। भूख हैँ या नहीं बस उन्हें जैसे ही शिकार दिखता था उनके मुँह से पानी टपकने लगता था।  और वे तुरंत उसका शिकार करने के लिए निकल लेते थे।  उनकी इन हरकतों से पूरा जंगल ही परेशान हो गया था।  कुछ जानवर तो अपना घर बार छोड़कर दूसरे जंगल में चले गए। चूँकि वे ही जंगल के राजा थे ऊपर से खूंखार थे तो किसी में भी थोड़ी सी भी हिम्मत नहीं थी कि उन्हें जाकर समझाये कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो "एक दिन इस जंगल में एक भी जानवर नहीं बचेगें और फिर उन्हें खाने के लिए कुछ भी नहीं मिलेगा।" खैर सभी छोटे बड़े जानवर अपना अपना नसीब समझकर कि जो नसीब में लिखा होगा वो होगा लेकिन बिना बुलाये खुद ही मौत के पास नहीं जाना है। यही सब समझ बुझकर चुप रहकर बैठ गए कि जो लिखा होगा वो होगा. 


       ऐसे ही करते करते बहुत साल बीत गए. एक साल जंगल में  बहुत बड़ा आकाल पड़ा। जंगल से बहने वाली सारी नदियाँ, तालाब, झरने सब उस साल बारिश न होने की वजह से सुख गए।  जिसकी वजह से धीरे धीरे जंगल के पेड़ पौधे भी सूखने लगे। जंगल के सारे जानवर अपने और अपने प्राणों की रक्षा के लिए भागकर दूसरे दूसरे जंगलो में चले गए जहाँ जहाँ पानी था और उन्हें उनके हिसाब से सुरक्षित स्थान मिला। 
        अब पुरे जंगल में सिर्फ ये दोनों शेर और कुछ जानवर ही रह गए थे. अब ये दोनों तो कहीं और किसी जंगल में तो जा नहीं सकते थे। क्योंकि वहाँ के जंगल क्र शेर इन्हे आने नहीं देते। मार कर खा भी सकते मारकर खा भी सकते थे। और वैसे भी इन्होने अपने ताकत के गुमान में किसी भी आस पड़ोस के जंगल से कभी भी अच्छे समबन्ध रखे ही नहीं थे। हमेशा उनसे बैर ही रखा था।  


         कई दिनों से पानी न मिलने कि वजह से प्यास के मारे इनकी भी हालत एकदम से खराब हो गयी थी। भोजन तो मिलना दूर की बात थी। पानी पाने के चक्कर में कभी अपने क्षेत्र से बाहर तक न जाने वाले ये दोनों भाईयों ने अपने समनव्य जंगल का खाक तक छान मारे थे। कहीं तो इन्हे पानी मिल जाएगा। कई बार इन्होने यहां तक प्रयास किया की बगल के जंगल में जाकर पानी पी कर आ जाय जाये। लेकिन उन जंगलो के जानवरों की दुश्मनी और अच्छे सम्बन्ध न होने की वजह से उन्होंने भी इन दोनों भाईयों को अपने जंगल के क्षेत्र में घुसने तक नहीं दिया। और जंगल में जाकर पानी पिने का इनका हर प्रयास असफल हुआ। और ये इसी प्रकार के एक असफल प्रयास का सामना करके अपने जंगल की तरफ आ रहे थे।  तभी इन्हे एक बंदर इनकी ही तरफ आता हुआ दिखा और ये दोनों भाईयों ने न आँव देखा न ताँव देखा तुरंत ही उस बंदर की तरफ दौड़ पड़े। क्योंकि उसके पास पानी का एक भरा हुआ चोंगा था। बंदर ने जैसे ही उन्हें अपनी ओर दौड़ते हुए आते देखा तुरंत डर के मारे बगल के ही एक पेड़ पर चढ़ गया। बंदर ने सोच लिया की आज ये दोनों भूखे जल्लाद अब मुझे बिना खाएं नहीं छोड़ेंगे। जैसे मैं नीचे उतरूँगा तुरंत ये दोनों मुझे खा लेंगे। 
          
दोनों शेर बंदर को देखकर बोलने लगे कि डरो मत हम तुम्हे खाएंगे नहीं बस हमें बहुत जोर से प्यास लगी हैँ. कई दिनों से बिना पानी के हमारा गला एकदम से सुख गया हैँ। बस हमपर एक ही रहम करो जो तुम्हारे पास पानी है उसमे से ही थोड़ा सा पीला दो ताकि प्यास के मारे हमारी जो जान निकल रही है वह बच जाए। हम वादा करते हैं कि तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं करेंगे। तुम्हे खाएंगे भी नहीं। वैसे हम विश्वास करने लायक नहीं हैं लेकिन आज हम पर विश्वास करो। हम किसी भी तरह से तुम्हारा अहित नहीं करेंगे। इसप्रकार से दोनों शेर आज बंदर के सामने एकदम से निसहाय होकर विंनती करने लगे। 


        उधर बंदर के अंदर डर तो बहुत था कि अगर इसकी  मानी तो आज गए। फिर भी उसके अंदर दिन दुखियों  प्रति प्यार भी था भले वे उसका वे उसके प्यार के बदले में उसकी मुड़ी क्यों न काट ले। वह तुरंत  इष्टदेव बजरंगबली का नाम लेकर,अपनी जान का परवाह किये बिना नीचे उतरा और उन्हें पानी दें दिया। उसके निचे उतरते ही वे दोनों उसके ऊपर ऐसे टूटे जैसे पानी तो बहाना हो असल में  बन्दर को ही पानी के बहाना बनाकर खाना चाहते थे। और बंदर के दिमाग में यह बात घूम गयी कि आज तो किसी की मदत करने के चक्कर में फसकर खुद के प्राण ही दांव पर लगा दिया। अब तो प्रभु बजरंगबली भी मेरी मूर्खता की वजह से कुछ नहीं करेंगे। 


       तभी पास आकर वे दोनों बोलने लगे कि अपने लिए भी रख लो भाई थोड़ा पानी।  पुरे जंगल में रत्ती भर भी पानी नहीं हैँ। बिना पानी के तुम मर जाओगे। (मन ही मन पहले बंदर ने अपने इष्टदेव का शुक्रिया किया कि उसे थोड़ी देर लगा की वह तो ऊपर चल ही गया। और साथ में मन ही मन उनसे कहा की आपको  प्यास पड़ी है यहां तो तुम्हे खुद की ओर  देख प्राण ही सुख गए थे। चिंता मत करो जान बच गयी है तुमसे। अब पानी कहीं से भी हम उपलब्ध कर ही लेंगे प्रभु की कृपा से।) 
        बंदर ne कहा "पहले अपनी प्यास बुझा लो तब तुम्हारे मन दिमाग़ और पुरे शरीर में शांति आएगी फिर आगे बाते करते हैँ।" वे दोनों शेर इतने प्यासे थे कि तुरंत न आँव देखा और न तांव देखा, जल्दी से पानी पिने लगे। जब  पानी पी लिए और उन्हें पिने के बाद देखने पर लगा कि उन्हें थोड़ा अच्छा लगा तो बंदर ने ही पूछा "कैसा लग रहा हैँ।"  


        तो उन दोनों शेरो ने कहा कि "ऐसा लग रहा हैँ कि जैसे नई जिंदगी मिल गयी हैँ हमे। " हम पानी के लिए कई दिनों से भटक रहे थे। लेकिन हमें कहीं नहीं मिला।  जिनके पास था वे देना चाहते तो थे लेकिन हमारे द्वारा उन्हें खाने के डर के मारे वे हमारे पास ही नहीं आये। हम पड़ोस के जंगल में भी गए पानी के तलाश में लेकिन वहाँ के शेरो ने हमें वहां घुसने ही नहीं दिया।  लेकिन तुम ये  बताओ कि तुमने हमें अपना पूरा पानी क्यों दें दिया? जबकि सभी को पता हैँ कि इस जंगल के राजा होने के बंजुद हमने कभी इस जंगल के भले के बारे में नहीं सोचा. इसी वजह से कितने सारे जानवर बहुत पहले ही अपने इस जंगल को छोड़कर दूसरे जंगल में चले गए कि भले लोग वहाँ उन्हें बाहर से आया हुआ कहेंगे वहां हम दूयम दर्जे के लोग का दर्जा मिलेगा फिर भी वे अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैँ। 


         तब बंदर ने  कहा कि हाँ मैं सब जानता हुँ आप  लोगों के बारे में।  पहले जब तुम दोनों मेरे पास दौड़कर आये तो मैं भी डर के मारे ही पेड़ पर चढ़ गया था कि अब तो हम भी गए। हमारा भी समय नजदीक आ गया हैँ। बस उसी डर में अपने इष्टदेव भगवान हनुमान जी का सुमिरन करने लगे। तभी जब आपने हमसे कहा कि हमें सिर्फ पानी चाहिए। हम तुम्हे खाएंगे नहीं। हमारा विश्वास करो। अगर आज पानी नहीं मिला तो हम आज प्यास के मारे ही मर जायेंगे। तो हमने सोचा कि अगर मान लो आप दोनों झूठ बोल रहे थे तो यही उस समय सोचकर ऊपर ही रहते, तो वहां उस पेड़ पर कितने दिन रहते। और तो और इस पेड़ पर फल भी नहीं थे कि हम इसी पेड़ पर रहते और अपना जीवन यापन कर लेते। एक न एक दिन यह पानी समाप्त होता ही और हमें फिर पानी के बहाने ही नीचे उतरना पड़ता और अगर आप लोग तबतक यहां रहते तब भी मौका मिलते ही छोड़ते थोड़े ना ही। तो दिल दिमाग़ में यह बात आयी कि और सच भी लगा कि सचमुच में पुरे जंगल में पानी नहीं हैँ और आप लोगों के पिछले रिकार्ड को देखने पर कोई अपने यहाँ  न आने देगा न ही बुलाकर कुछ देगा ही। तो आप दोनों  में थोड़ी सच्चाई के आशा की किरण दिखाई दिया। और तो वैसे भी मरना ही हैँ आज नहीं तो कल तो क्यों न सबसे पहले आप लोगों का सहारा बन जाऊँ। एक और मौक़ा मिला है तो क्यों किसी की मदत करके ही मरा जाए। और अगर आपकी बात में थोड़ी बहुत भी सच्चाई होंगी तो हमारी जान बच जाएगी। साथ में हमारे इष्टदेव बजरंगबली  ही। उन्होंने आजतक हर कदम पर हमारी रक्षा किये हैं तो आज तो किसी की  का कार्य कर रहे हैं तो जरूर हमारी मदत करेंगे। और सब उन्ही पर छोड़कर निचे उतर आये कि जो लिखा होगा और जैसी प्रभु की इच्छा होगी वह सब हमे स्वीकार रहेगा। तो यही सोचकर नीचे आये कि एक सही इंसान वही होता हैँ जो किसी के मुश्किल समय में अपनी समस्याओं को भूलकर उसका सहारा बने जिसे उस समय किसी के साहब  जरूरत हो। भले ही उसने उसके साथ या उसके लोगों के साथ आज या कभी भी कितना भी बुरा बर्ताव क्यों न किया हो। आपका एक सहारा शायद उसके कलंकित जीवन को बदल सकता हैँ। 


        यही सब सोचकर और सब कुछ अपने इष्टदेव भगवान हनुमान पर छोड़कर कि उनकी मेरे जीवन के प्रति जैसा ख्याल होगा वह सब मुझे मंजूर होगा। और हम पेड़ से नीचे उतरकर आ गए।  अब बताओ आपको पानी पिने के बाद कैसा लग रहा हैँ। अगर भूख लगी हो तो भी हमे खा सकते हो। हमे ख़ुशी होगी यह जीवन किसी के काम तो आया।  
         तब उन दोनों शेरों ने  कहा कि एक पानी में कितनी ताकत होती हैँ वो हम आज उसे पिने  के बाद जाने। जिसने हमारी प्यास बुझाकर हमारी आँखे खोल दी।  हमें एक नया जीवन दिया। हमे सिखाया कि जीवन में मिले  हर एक चीज की कदर करनी चाहिए। लोगों का सिर्फ उपभोग ही नहीं करना चाहिए समय आने पर उनका सहारा भी बनना चाहिए। अगर हमे आज पानी नहीं मिलता तो पक्का था कि हम आज जीवित नहीं बचते और उधर हम सारा जीवन अपने ताकत के बल पर लोगों को अपनी तरफ करने कि कोशिश करते रहे लेकिन कोई नहीं आया।  जंगल का राजा होने कि वजह से आज इस मुश्किल घड़ी में  हमें लोगों का सहारा बनना चाहिए था।  लेकिन जिसने उनका सहारा ही छिना हो वो क्या सहारा बनेगा उनका। इसलिए तो वे हमारे पास आने कि बजाय दूसरे जंगल में दूसरे दर्जे का जानवर बनकर जीने को हमारे यहाँ आने से ज्यादा बेहतर और सुरक्षित समझे। दूसरे जंगल के शेरो के पास जाना हमारे यहां आने से ज्यादा अपने आप को सुरक्षित समझे। आज हमारी आँखे तुम्हारी बाते और अच्छी सोच ने  खोल दी हैँ।  


       हम वादा करते हैं तुमसे और अपने पुरे जंगल से कि तुम्हारे सहारे अपने लोगों के अंदर विश्वास पैदा करेंगे और उन्हें फिर से अपने घर यानि अपने जंगल में आने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इस जंगल को फिर से हम सभी मिलकर स्वर्ग के समान सुंदर बनाएंगे। हम ऐसा भयमुक्त माहौल बनाएंगे की जंगल के सभी जानवर एक दूसरे के साथ शांति और प्यार के साथ रह सकेंगे। सभी सुख दुःख में एक दूसरे का सहारा बनेगे। 
        इस प्रकार से समन्वय जंगल फिर से अपने पुराने रूप में आ गया। अब सभी जानवर जो इस जंगल को छोड़कर दूसरे जंगल में चले गए थे वे सभी लौट आये।  बंदर के हिम्मत और साहस की प्रशंसा पुरे जंगल में होने लगी।  इधर  बंदर भी मन ही मन सोच रहा था की उस दिन उन दोनों शेरोन को देखने के बाद मेरी क्या हालत हुयी थी यह हम और हमारे बजरंगबली ही जानते है। चलो ठीक है जो हुआ अच्छे के लिए ही हुआ। शुक्र की बात है की एक  पूरा जंगल सुधर गया। 
-BLOGGERअjay नायक 





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