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Friday 6 August 2021

अखंडता में खंड़ता -सावधान असम विरुद्ध मिजोरम

 अखंडता में खंड़ता -सावधान 
असम विरुद्ध मिजोरम 

असम और मिजोरम पूर्व क्षेत्र के ये दो महत्त्वपूर्ण राज्य है।जो एक दूसरे से सीमा लगभग 165 किमी तक साझा करते है। लेकिन आज ये दोनों राज्य किन्ही और कारणों की वजह से सुर्ख़ियों में हैं।  वजह है इन दोनों के बीच दशकों से चला आ रहा सीमा विवाद कुछ दिन पहले यानि 26 जुलाई को उग्र रूप ले लिया। और दोनों तरफ के पुलिस से चली गोली की आग में असम पुलिस के 6 जवान बलि चढ़ गए। और एक नागरिक की मृत्यु हो गयी। साथ में करीब 50 लोग घायल भी हुए। ऐसा यह पहली बार हुआ है कि एक ही देश के दो राज्यों के बीच में सीमा विवाद को लेकर दोनों राज्यों के पुलिस के बीच आमने सामने से गोली बारी चली हो। 

यह विवाद कुछ उसी तरह का है जैसे भारत-पकिस्तान के बिच का विवाद और भारत-चीन के बिच का विवाद। जो आये दिन लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के लिए व कश्मीर के लिए लड़ते रहते हैं। 

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अबतक वैसा विवाद भारत के अंदर बहुत से राज्यों के बीच में थोड़ा बहुत विवाद होने के बावजूद भी किन्ही दो राज्यों के बीच में नहीं देखा गया था। जैसा कि 26 जुलाई की रात में असम और मिजोरम के बीच में सीमा विवाद को लेकर हुए उग्र प्रदर्शन में देखा गया। यह विवाद इतना उग्र या इसकी विभीषिका इतनी ज्यादा थी की अब तक सिर्फ, विश्व के बहुत से देश अपने नागरिकों को किन्ही कारणों से या सुरक्षा की दृस्टि से विवादित देश का दौरा करने से रोकते थे। ताकि उनके नागरिक सुरक्षित रहे या उनके साथ किसी प्रकार की अनहोनी न हो। लेकिन कुछ इस तरह का कदम इस बार एक ही देश के एक राज्य ने उठाया। असम सरकार ने एक पत्र जारी कर अपने राज्य के नागरिकों से विवादित राज्य में बिना काम के न जाने की सुचना जारी की। साथ में उन्होंने व्यापारी आवागमन पर भी रोक लगा दिया। ऐसा वाकया कभी नहीं देखा गया था। लेकिन इस बार भारत में यह देखा गया। मेरे हिसाब से यह अपने आप में एकदम अलग तरह का मामला है। जिसमे एक ही देश का एक राज्य ने अपने नागरिकों को उनके ही देश में एक दूसरे राज्य की सीमा में जाने से रोका रहा हो या विवाद खत्म न होने तक न जाने का सलाह दे रहा हो। व व्यापार पर पूर्ण रोक लगा दिया हो। 



स्वतंत्रता के समय पूर्वोत्तर के राज्य असम मणिपुर और त्रिपुरा ये राज्य भारत में शामिल हो गए। नागालैंड मेघालय अरुणाचलप्रदेश और मिजोरम का थोड़े से विलम्ब से इन राज्यों का निर्माण सन 1963 और 1987 के समय में किया गया। यह सभी राज्य पहले असम के ही भूभाग थे। लेकिन संस्कृति और भाषा अलग होने की वजह से इन्हे असम से अलग करके अलग-अलग राज्य बनाया गया।  



यह विवाद अंग्रेजो के समय से चला आ रहा है। असम सरकार 1933 के अंग्रेजी सरकार के द्वारा निर्धारित किये गए सीमा को मानता है। जिसमे विवादित स्थान को असम का भूभाग बताया गया है। वहीँ मिजोरम सरकार 1875 में बंगाल एक्ट 1873 के तहत निर्धारित की गयी सीमा को मानता है। इसके अनुसार वह जगह मिजोरम सरकार की है। आजाद भारत से पहले से चले आ रहे इस विवाद को स्वतंत्र भारत में भी  सुलझाया नहीं जा सका।  2005 में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से इस सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक समिति का गठन करने के लिए कहा। उसी के आधार पर मिजोरम सरकार ने अपने यहां एक समिति को गठित करके विवादित भाग उनका है, से सम्बन्धित सभी कागज पत्र, केंद्र सरकार को सौप दिए। लेकिन 26 जुलाई को दोनों राज्य विवादित भाग को लेकर फिर से भड़क उठे। जिसके परिणाम स्वरूप मिजोरम के किसानो के घरों में आग लगा दिया गया। जिसके बाद से दोनों तरफ के पुलिस की तरफ से गोलीबारी चली। जिसमे असम पुलिस के 5 जवान की गोली लगने से मृत्यु हो गयी। 



यह विवाद किसी गणतांत्रिक देश के अच्छे उज्ज्वल भविष्य के लिए अच्छे शुभ संकेत नहीं है। भविष्य में इस प्रकार की किसी भी प्रकार की होने वाली घटना से केंद्र सरकार और संघ राज्यों को सबक लेकर भविष्य की चिंताओं को ध्यान में रखकर उपाय योजना करने की जरूरत है ताकि कभी भविष्य में इस प्रकार की घटना न हो अगर होने की संभावना भी हो तो हम समय से पहले उसका उपाय किया जा सके ताकि इसकी चिंगारी आगे फ़ैल न सके। और जंगल की तरह पुरे भारत को ही अपने आग के चपेट में न ले ले। क्योंकि यह दोनों पूर्वोत्तर राज्य दूसरे देशों की सीमा से सटे हुए राज्य हैं। चीन अरुणाचल प्रदेश को लेकर वैसे ही समय समय पर अलग तरह के पैतरेबाजी करते रहता है। वैसे भी मिजोरम और मणिपुर में चीनी समर्थित माओदी गुट संक्रिय है। और वे ऐसे ही विवाद के ताक में बैठे हुए हैं। अगर ऐसे विवाद जारी रहेंगे तो देश विरोधी ताकतों को बल मिलेगा। और वे समय समय पर राज्य की जनता को गुमराह करके विवादों में घी डालते रहेंगे। वैसे भी चीन पूर्वोत्तर के राज्यों में वहां के देश विरोधी गुटों को भारत के खिलाफ भड़काने का काम करते रहता है। 



चूँकि अब दोनों राज्यों के बीच धीरे धीरे माहौल शांत हो चुका है। असम सरकार ने मिजोरम सरकार के खिलाफ जो जो नोटिफिकेशन जारी किया था। उन सभी नोटिफिकेशनो को वापस ले लिया है। मिजोरम सरकार के मुख्यमंत्री ने मिजोरम पुलिस की तरफ से असम के मुख्यमंत्री के खिलाफ लिखवाई गयी एफ आई आर को वापस ले लिया है। दोनों के राज्यों के बीच उनके मुख्यमंत्री के आपस में फोन से बातचीत और मंत्रियों के बीच हुए बातचीत से इस बात की सहमति बन चुकी है कि हम आपसी सहमति से इस विवाद को सुलझाएंगे। और दोनों राज्य शांति से विवाद को सुलझाने की ओर अग्रसर हो चुके हैं। इसमें केंद्र सरकार ने भी तुरंत कार्यवाही करते हुए दोनों राज्यों की सीमा को अपने अंदर में लेते हुए वहां पर crpf की तैनाती कर दी है। जिसका दोनों राज्यों ने खासकर मिजोरम ने स्वागत किया है। यह विवाद जल्दी से जल्दी समाप्त होना चाहिए। क्योंकि इसी तरह के सीमा विवाद को लेकर अन्य राज्यों के बिच में भी टकराव चल रहा है। जो एक अच्छे लोकतंत्र के पोषक के लिए अच्छा नहीं है। इसलिए राज्यों और केंद्र सरकार को मिलकर जल्दी से जल्दी विवादों का निपटारा करना चाहिए। 

-ब्लॉगर अजय नायक 
www.nayaksblog.com 










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