ये कविता है मृत्यु शय्या पर पड़े हुए एक जलते हुए व्यक्ति की जो कुछ सोचता है। उसने लोगों के लिए क्या नहीं किया खासकर अपने परिवार के लिए और आज उन्ही के लिए अशुभ हो गया हूँ।
अभी कुछ पल में फूक दिया जाऊंगा
अभी अभी तो मरा हूँ
अगले पल में फूक दिया जाऊंगा
या मिटटी में मिला दिया जाऊंगा
फुकने और मिटटी में मिलाने से
मृत्यु के शय्या पर पड़े पड़े
एक बात याद आ रही है
कुछ दिन पहले ही तो
एक छोटे से वाकये में
मनोज को फुकने की धमकी दी थी
एक दूसरे वाकये में
अली को मिटटी में मिला देने की धमकी दी थी
इतना जल्दी यह सच हो जाएगा
कभी सोचा न था !
दूसरे को दी गयी धमकी
खुद पर लागू हो जायेगी
कभी सोचा न था !
खैर छोड़ो उन बातों को
आज यह सिद्ध हो गया
जैसा दूसरों के साथ करोगे
वैसा ही तम्हारे साथ भी होगा !
छोड़ो उन बातों को
अभी अपनों को देखो
दूसरों को तो बहुत देख लिया
उन्हें देखते देखते
आज खुद को ही
देखने की बारी आ गयी !
जिनके लिए, अपना सबकुछ लुटा दिया
दिन, रात सब एक कर दिया
जबसे, वे हुए
अपना पूरा जीवन
उनके ही नाम कर दिए
आज वही घर से
मुझे बाहर निकाल दिए
ये बोलकर
लाश को ज्यादा समय तक
अंदर नहीं रखा जाता
अशुभ है माना जाता
जिस घर को मैंने बनाया
जीवन भर के पसीने से सींचा
जो मेरा घर कहलाया
मेरे पसीने से बना घर कहलाया
आज उसके लिए
मैं ही अशुभ हो गया
अरे ! उसके जुबान को तो, कोई पकडे
क्या बोले जा रहा है
मेरा ही बेटा, सगा लगा सम्बन्धी है
और कह रहा है
जल्दी जल्दी करो, नहीं तो
लाश खराब हो जाएगी !
बताओ कुछ पल में
लाश का टुकड़ा हो गया !
अभी कल ही तो
उसकी ऊँगली में घाव लगा था
वैद्य, काटने के लिए बोल रहा था
मैंने वैद्य से बोल दिया था
जितना रुपया लगेगा, उतना लगा दूंगा
लेकिन, मेरे इकलौते बबुआ की
ऊँगली नहीं कटनी चाहिए
देखो, आज वही बोल रहा है
जल्दी जल्दी करो
नहीं तो लाश खराब हो जाएगी !
अरे ! लाश की जगह
शरीर ही बोल दिया होता
या कुछ और ही बोल दिया होता
आखिर उसका कुछ तो था मैं
था क्या? बाप था मैं
क्या! रिश्ते इतनी जल्दी ख़त्म हो जाते हैं !
या किसी के जाने के बाद
कुछ समय तक बने रहते हैं !
काश, यह बात
पहले समझ आ गयी होती, तो
ये दिन जरूर देखता मैं
लेकिन इस तरह के बर्ताव पे
किसी तरह का पछतावा तो नहीं होता
चलो ठीक है मैं तो मर ही चुका हूँ
कुछ पल में नहा धुलाकर
एक लकड़ी के सहारे बांध दिया जाऊंगा
और उसके अगले पल में
अपनों के हाथों ही बेरहमी से जला दिया जाऊंगा
बस आप सभी से इतना ही है कहना
मैं नहीं समझा
आप जरूर समझना
अगर कोई समझाना चाहा
फिर तो जरूर समझना
एक पल है यहाँ, हर कोई आपका
अगले पल नहीं है, कोई यहाँ आपका
आपके जीवन में
मौत है जितना बड़ा सत्य
उतना बड़ा ही
यह भी है सत्य
दूसरों को अगर
जलाओगे, गाड़ोगे
तुम्हे भी एक न एक दिन
जलना, गड़ना पड़ेगा!
किसी से, कुछ भी
कामना न रखना
खासकर अपनों से
जो मिला उसी में
सदा खुश रहना
खासकर अपनों से !
सब पराये हैं यहाँ
परिवार, बेटा,
दूसरे ही नहीं
यह अपना शरीर
और आत्मा भी !
जब मिले ख़ुशी ,
ख़ुशी ख़ुशी
उसे अपना लेना
जब मिले दुःख
ख़ुशी ख़ुशी उसे भी अपना लेना
जबतक है जीवन
इन दोनों की
तबतक ही है आप से यारी !
-अjay नायक 'वशिष्ठ'
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