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Monday, 11 November 2024

 पता है मुझे 

अभी कल ही तो लिया था जन्म तुमने, 

हमने मिठाई के रूप में, बाटी थी बर्फियां पेड़े

गोंद में लेकर, सभी देखने आने वालों ने

ओ ले मेरा बाबू बोलकर 

एक एक करके खिलाया था तुम्हे 

कुछ लोग तो 

गोंद में लेने के एवज में, 

कुछ नगद दिए भी थे तुम्हे 

तुम अध आंखें खोलकर 

रह–रह कर थोड़े–थोड़े देर में 

रो रही थी कें–कें करके

देखने आने वाले 

चुटकी ताली बजाकर 

कर रहे थे तुम्हारा मनोरंज 

कोई बोल रहा था 

लक्ष्मी आई है, 

तो कोई बोल रहा था, 

देवी आई है 

सबकी ट्यून एक ही थी 

फिर भी बोली में,

व्यंग साफ साफ झलक रही थी 

अब तुम 

धीरे धीरे करके, 

पूरे 4 साल की हो गई हो 

कितनी जल्दी 

दिन साल में बदल गया 

हमे पता ही नही चला 

तुम्हारे बोलने का एक तरीका 

पापा! ओह! 

सारा दुःख दर्द 

एक झटके में हर ले जाता है 

घर आने पर, 

मां की हजार जिरहे तुम्हारे प्रति होती है 

जैसे ही जाते हैं तुम्हे चिल्लाने 

चीन की दीवार बन वही सामने खड़ी हो जाती हैं 

तुमसे ही है हमारी खुशियां 

तुम पर ही है निर्भर हमारा जीवन सारा 

लोग कहते हैं तुम जन्म लेते हो जाती हो पराई 

लोगों का काम है कुछ न कुछ सोचना कहना 

बस तुम मेरी बात को ही गांठ बांध कर रखना 

जब तक हो यहां, 

कभी न समझना खुद को पराई !

पता है मुझे 

अभी कल ही तो लिया था जन्म तुमने, 

हमने मिठाई के रूप में बाटी थी बर्फियां पेड़े।

–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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