जिंदगी के इस मुकाम तक पहुचाने के लिए आप सभी प्रिय मित्रों को दिल से सलाम, नमस्कार।
आपने हमे जीने का एक जरिया दिया, मरने का एक बहाना दिया। ना जाने क्या क्या चीज दिया
आपने ही तो हमे रोना सिखाया, आपने ही हमे हँसना सिखाया। ना जाने क्या क्या चीज सिखाया,
जीवन को बिगाड़ भी दिया, और जीवन को आधार भी दिया। ना जाने क्या क्या चीज दिया
गिरना भी सिखाया, और गिरकर उठना भी सिखाया। ना जाने क्या क्या चीज सिखाया
अब तक के सफर में हर कदम पर साथ छोड़ दिया, और साथ भी इन्होंने ही दिया। ना जाने क्या क्या चीज दिया
जिंदगी ने भी बहुत कुछ दिया, लेकिन उससे एक ज्यादा मेरे दोस्त ने दिया। ना जाने क्या क्या चीज दिया
दुश्मनों से लड़ा भी दिया, और दोस्ती के लिए झुका भी दिया। ना जाने क्या क्या चीज दिया
जिंदगी ने बहुत कुछ सिखाया , लेकिन उससे एक ज्यादा मेरे मित्रों ने सिखाया। ना जाने क्या क्या चीज सिखाया
जिंदगी के इस मुकाम तक पहुचाने के लिए आप सभी प्रिय मित्रों को दिल से सलाम, नमस्कार।
आज मित्रता का दिवस है। मित्रता को एक दिन के रूप में हम बांध तो नही सकते हैं लेकिन कुछ मित्र होतें हैं जो हमसे बिछड़ जाते हैं शायद हम उन्हें इस एक दिन तो याद कर ही सकते हैं। मित्र की कोई परिभाषा नही होती है। मित्र शब्द का कोई अर्थ भी नही होता है। क्योंकि इसकी परिभाषा और अर्थ रोज बदलती रहती है और एक नया अर्थ व एक नई परिभाषा आती रहती है। हर मित्र के लिए अलग अलग परिभाषाएं व अर्थ होते हैं। अगर सभी मित्रों की परिभाषाएं व अर्थ एक हो जाये तो वो मित्र नही हो सकता है।
मित्र एक कड़वा एहसास है जिसका आपके जीवन मे घुसना एक अलग एहसास करवाता है और समय के साथ आगे बढ़ते बढ़ते एक अलग ही एहसास करवाता है। जिसे आप छोड़ भी नही सकते और अपने से दूर जाने भी नही दे सकते हो क्योंकि वो आप का एक मित्र होता है। वो आता है आपके जिंदगी में कड़वा बनकर लेकिन समय के साथ साथ खट्टा मीठा बन जाता है। जो हमारे जिंदगी को एक महत्त्वपूर्ण आधार देता है।हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ बन जाता है। जिसे हम जरूरत के अनुसार आगे पीछे कर सकते हैं। वो प्रतिक्रिया भी करेगा, फिर भी मित्र से बड़ा किसी को कुछ नही मानेगा। शुरुआत से अंत तक साथ रहेगा। जन्म में तो नही लेकिन यम के साथ चलेगा। खुशी में तो नही लेकिन दुख में सिर्फ वही नजर आएगा।
मित्र एक पिता और मां का रूप होते हैं। क्योंकि वे ही हमारे युवा अवस्था के सबसे बड़े गुरु होते हैं। क्योंकि हमारे भटकने की सबसे बड़ी संभावना इसी उम्र में रहती है। इसलिए हमारे माता पिता इस उम्र में हमारे मित्रों पर नजर रखते हैं और अगर एक अच्छा मित्र हमे मिल गया तो उन्हें लगता है जैसे हमारे बच्चे को एक अच्छा गुरु मिल गया है, वे निश्चिंत हो जाते हैं। वे ये समझने ही नही उन्हें पूरा विश्वाश हो जाता है कि अब हमारा बेटा भटकेगा नही। मित्र की ऐसी अहमियत होती है। मित्र एक लात मरेगा और अगले पल ही दवा भी लगाता है। मित्र हमारी कमियों को दूर करने का काम करता है।और वो दूर ही नही करता है आगे ऐसा ना हो उसका भी उपाय करता है।
अगर हम इतिहास उठाकर देखेंगे तो हमे मित्रों के बारे में हजारों बाते मिलेगी। मित्र किसी का भी वह अपने मित्र की नजर में अच्छा ही होता है और उसे अच्छा ही होना चाहिए। लोग अगर सबसे ज्यादा भरोसा इस धरती पर किसी से करते हैं तो वो मित्र ही होता है। इसलिए मित्र को सिर्फ मित्र ही होना चाहिए।
हम भगवान से यही कामना करेंगे कि हम सभी मित्र अपने सभी मित्रों का साथ ऐसे ही जीवन भर देते रहेंगे। और भी उनका साथ नही छोड़ेंगे। बाते अभी बहुत हो सकती हैं लेकिन जितना करेंगे उतना कम ही रहेगा । जिंदगी के इस मुकाम तक पहुचाने के लिए आप सभी प्रिय मित्रों को दिल से सलाम, नमस्कार।
आपने हमे जीने का एक जरिया दिया, मरने का एक बहाना दिया। ना जाने क्या क्या चीज दिया
आपने ही तो हमे रोना सिखाया, आपने ही हमे हँसना सिखाया। ना जाने क्या क्या चीज सिखाया,
जीवन को बिगाड़ भी दिया, और जीवन को आधार भी दिया। ना जाने क्या क्या चीज दिया
गिरना भी सिखाया, और गिरकर उठना भी सिखाया। ना जाने क्या क्या चीज सिखाया
अब तक के सफर में हर कदम पर साथ छोड़ दिया, और साथ भी इन्होंने ही दिया। ना जाने क्या क्या चीज दिया
जिंदगी ने भी बहुत कुछ दिया, लेकिन उससे एक ज्यादा मेरे दोस्त ने दिया। ना जाने क्या क्या चीज दिया
दुश्मनों से लड़ा भी दिया, और दोस्ती के लिए झुका भी दिया। ना जाने क्या क्या चीज दिया
जिंदगी ने बहुत कुछ सिखाया , लेकिन उससे एक ज्यादा मेरे मित्रों ने सिखाया। ना जाने क्या क्या चीज सिखाया
जिंदगी के इस मुकाम तक पहुचाने के लिए आप सभी प्रिय मित्रों को दिल से सलाम, नमस्कार।
आज मित्रता का दिवस है। मित्रता को एक दिन के रूप में हम बांध तो नही सकते हैं लेकिन कुछ मित्र होतें हैं जो हमसे बिछड़ जाते हैं शायद हम उन्हें इस एक दिन तो याद कर ही सकते हैं। मित्र की कोई परिभाषा नही होती है। मित्र शब्द का कोई अर्थ भी नही होता है। क्योंकि इसकी परिभाषा और अर्थ रोज बदलती रहती है और एक नया अर्थ व एक नई परिभाषा आती रहती है। हर मित्र के लिए अलग अलग परिभाषाएं व अर्थ होते हैं। अगर सभी मित्रों की परिभाषाएं व अर्थ एक हो जाये तो वो मित्र नही हो सकता है।
मित्र एक कड़वा एहसास है जिसका आपके जीवन मे घुसना एक अलग एहसास करवाता है और समय के साथ आगे बढ़ते बढ़ते एक अलग ही एहसास करवाता है। जिसे आप छोड़ भी नही सकते और अपने से दूर जाने भी नही दे सकते हो क्योंकि वो आप का एक मित्र होता है। वो आता है आपके जिंदगी में कड़वा बनकर लेकिन समय के साथ साथ खट्टा मीठा बन जाता है। जो हमारे जिंदगी को एक महत्त्वपूर्ण आधार देता है।हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ बन जाता है। जिसे हम जरूरत के अनुसार आगे पीछे कर सकते हैं। वो प्रतिक्रिया भी करेगा, फिर भी मित्र से बड़ा किसी को कुछ नही मानेगा। शुरुआत से अंत तक साथ रहेगा। जन्म में तो नही लेकिन यम के साथ चलेगा। खुशी में तो नही लेकिन दुख में सिर्फ वही नजर आएगा।
मित्र एक पिता और मां का रूप होते हैं। क्योंकि वे ही हमारे युवा अवस्था के सबसे बड़े गुरु होते हैं। क्योंकि हमारे भटकने की सबसे बड़ी संभावना इसी उम्र में रहती है। इसलिए हमारे माता पिता इस उम्र में हमारे मित्रों पर नजर रखते हैं और अगर एक अच्छा मित्र हमे मिल गया तो उन्हें लगता है जैसे हमारे बच्चे को एक अच्छा गुरु मिल गया है, वे निश्चिंत हो जाते हैं। वे ये समझने ही नही उन्हें पूरा विश्वाश हो जाता है कि अब हमारा बेटा भटकेगा नही। मित्र की ऐसी अहमियत होती है। मित्र एक लात मरेगा और अगले पल ही दवा भी लगाता है। मित्र हमारी कमियों को दूर करने का काम करता है।और वो दूर ही नही करता है आगे ऐसा ना हो उसका भी उपाय करता है।
अगर हम इतिहास उठाकर देखेंगे तो हमे मित्रों के बारे में हजारों बाते मिलेगी। मित्र किसी का भी वह अपने मित्र की नजर में अच्छा ही होता है और उसे अच्छा ही होना चाहिए। लोग अगर सबसे ज्यादा भरोसा इस धरती पर किसी से करते हैं तो वो मित्र ही होता है। इसलिए मित्र को सिर्फ मित्र ही होना चाहिए।
हम भगवान से यही कामना करेंगे कि हम सभी मित्र अपने सभी मित्रों का साथ ऐसे ही जीवन भर देते रहेंगे। और भी उनका साथ नही छोड़ेंगे। बाते अभी बहुत हो सकती हैं लेकिन जितना करेंगे उतना कम ही रहेगा । जिंदगी के इस मुकाम तक पहुचाने के लिए आप सभी प्रिय मित्रों को दिल से सलाम, नमस्कार।
आपका प्रिय मित्र
अजय नायक
No comments:
Post a Comment