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Saturday 10 March 2018

पूर्वोत्तर में उगता हुआ सूरज और अस्त होते हुए सूरज

     पूर्वोत्तर में उगता हुआ सूरज और अस्त होते हुए सूरज 

 
एक विचार 
           ३ मार्च को पूर्वोत्तर भारत के राज्यों की मतों की गणना में भारतीय जनता पार्टी ने त्रिपुरा में २५ सालों से चली आ रही कमन्युस्ट पार्टी को सत्ता से बाहर करके खुद के दम  पर सत्ता में आयी।  २०१३ के चुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली थी।  वहीँ इस बार उसने बहुमत से भी ज्यादा सीटे जीतकर लायी है। ये बहुत ही आश्चर्यजनक और वहां सत्ता में रही और सत्ता में ना रही सभी पार्टियों के लिए सोचने वाला विषय है। कि कैसे जिस पार्टी को 2013 में एक भी सीट नहीं मिला था आज वह पूर्ण बहुमत से भी ज्यादा सीटेँ जीतकर लाती है।  वो भी बिना किसी बड़े आंदोलन के।   नागालैंड में भी ११ सीटे जीतकर  अपने सहयोगियों के साथ सरकार बनाने जा रही है।  वहीँ मेघालय में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत से दूर करके सिर्फ २ सीटे हासिल करके सरकार बनाने का दांवा राज्यपाल के पास पेश कर दिया है।  जबकि कांग्रेस मेघालय में सबसे ज्यादा सीट लाने के बावजूद उसे कोई समर्थन देने को तैयार नहीं है। इस बात पर कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए। कि आज कोई भी पार्टी क्यों उसके साथ नहीं आना चाहती है। 

शाम के समय का  दृश्य 

        भारतीय जनता पार्टी के लिए यह बहुत बड़ी खुशखबरी की बात है क्योंकि २ दिन पहले ही वह मध्यप्रदेश के उपचुनाव हारी थी।  उसके कुछ दिन पहले राजस्थान में हुए  लोकसभा और  विधानसभा उपचुनाव की सीटे हारी थी।  भारतीय जनता पार्टी के लिए ये जीत आने वाले कर्नाटक, उड़ीसा, मध्यप्रदेश और  राजस्थान के चुनाव के लिए संजीविनी बूटी का काम करेगी।  पूर्वोत्तर भारत में भारतीय जनता पार्टी का कोई आधार नहीं था।  लेकिन पहले उसने आसाम , मणिपुर को जीता।  अब उसने त्रिपुरा में २५ साल पुराने कमन्युस्ट पार्टी को हराकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी है।  साथ में ही २ सीटे लेकर मेघालय में अपनी सरकार बनवा दी।  जबकि वहां पर सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस थी।  ये बहुत ही अचरज वाली भी बात है और उसके संगठन कौशल्य नेतृत्व को भी दर्शाता है की उनके यहाँ छोटे से छोटा कार्यकर्ता कितनी जल्दी परिस्थितियों को भाफ लेता है और ऊपर बैठे लोंगो से तुरंत सम्पर्क करके अपनी बात को सही सिद्ध करके निर्णय लेने में देरी नहीं होने देता है।
        कांग्रेस भी अगर ऐसे ही तत्परता दिखाई  होती तो शायद गोवा, मणिपुर और अब मेघालय में आज उनकी सरकार होती।  लेकिन कांग्रेस इसमें फिसड्डी साबित हुयी और जबतक उनके बड़े नेता कुछ सोचते हैं,अमल करते हैं। उसके पहले ही  भारतीय जनता पार्टी के नेता अपना काम कर  चुके होते हैं।  और कांग्रेस के नेताओं को बैरंग लौटने के सिवा कोई काम नहीं बचता है।  फिर  नाकामियों को छुपाने के लिए ऊँचे राजनितिक मापदंड की बात करने लगते हैं।   भूल जाते है की वे कितने ऊँचे राजनितिक मापदंडो का प्रयोग करते हैं।  लालू जैसे सजा  प्राप्त हुए राजनीतिज्ञ का  साथ देते हैं। साथ ही नहीं उनसे राजनितिक समझौते भी करते हैं। 
       कांग्रेस,भारतीय जनता पार्टी, लेफ्ट पार्टियां, और भारत की सभी छोटी बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों को यह समझना होगा कि अब भारत की जनता पहले वाली नहीं रह गयी है।  आज वे सिर्फ अपना ही भविष्य नहीं दिखलाते जिससे जुड़ते हैं उसका भी भविष्य दिखलावाते हैं।   उसपर अपने हिसाब से मंथन करते हैं।  कौन क्या क्या बोल रहा है उसका बोलना हमारे कितने काम का है। अगर आज की जनता से कोई फायदे की बात बोल दे और वो उनके काम का नहीं है तो उसकी तरफ नज़र घुमाकर भी नहीं देखेंगे। और वहीँ कोई उनसे झूठ भी बोल दे और उस झूठ बोलने वाले में दम  है तो लोग उनके साथ हो लेते हैं। चाहे उसके बात में रत्ती भर भी सच्चाई ना हो।और इसका उदाहरण कई क्षेत्रीय पार्टियां हैं।  आज नेता ना देखकर लोग सिर्फ काम देखते हैं।  पहले ऐसा होता था, जिसकी वजह से हम आज भी विकासशील देश कहलाते हैं।  और हमारे साथ के बहुत से देश विकसित देश कहलाते हैं। 
     
आज जिसका सूरज  आज उदय हुआ है उनका सूरज भी कल अस्त होगा।  अगर वे जनता जनार्दन का थोड़ा भी ख्याल नहीं रखेंगे।  उनके काबिल के योजनाएं नहीं लाएंगे।  सिर्फ चिल्लायेंगे कि हमने गरीबी कम कर दी  है।  लेकिन अब जनता खुद ही देखती है की हमारे आसपास कितनी गरीबी ख़त्म हुयी है। उसे देखकर ही अपना मत ५ साल में एक बार देती है।  जो अच्छे अच्छों का सूर्य अस्त और उदय कर देते हैं। इसलिए पार्टियां अब सिर्फ काम करें।  जनता उनका फल जरूर देगी वो भी अगर आपने उनके लिए काम किया है।
          

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