Breaking

Recent Posts: Label / Tag Ex:

Tuesday 22 May 2018

एक बेटी के पिता के द्वारा अपने दामाद को लिखा गया पत्र


  एक बेटी के पिता के द्वारा अपने दामाद को लिखा गया पत्र



प्रिय दामाद जी ,
      आपको सादर नमस्कार।  बहुत दिनों से सोच रहा था की आपके  द्वारा हमें दिए गए ख़ुशी के पलों के बारे में लिखूं।  आज उन्ही पलों के बारे में सोच रहे थे और हमारी कलम सादे कागज़ पर रंग भरते चले जा रहे थे। जिस प्रकार से आपने हमारे बेटी और हमारे जीवन में रंग भर दिए हो।  शादी के दिन आपके पाँव का पूजन करके उतना गर्व महसूस नहीं हुआ जितना शादी के बाद आपके द्वारा हमे और हमारे पुरे परिवार को दिए गए खुशी  के बारे में सोचकर होता है। इन 2 सालों में आपने दामाद के प्रति आम धारणा वाली सोच को बदल दिया है।  वो भी बदलने के लिए मजबूर नहीं किया है।  धीरे धीरे अपने द्वारा दिए गए प्यार से बदल दिया है।  इसके हम और हमारा पूरा परिवार आपका आभारी है। 
      हर बाप का सपना होता है की वह अपने दामाद का पाँव पूजे।  जिनके बेटियां नहीं होती हैं वे दूसरों के यहाँ जा कर दामाद का पाँव पूजने के लिए लालायित रहते हैं।  उस मामले में हमे भाग्यशाली बनाया हमारी प्यारी बेटी ने।  और जिसकी वजह से हमें आप के जैसा एक हसमुख स्वभाव का हिम्मतीवाला एक व्यक्ति मिला।  पाँव पूजना तब सार्थक होता है जब पाँव पूजवाने वाला पाँव पूजने वाले की सभी शंकाओ को दूर करके उसकी इच्छा और उसके बेटी के लिए संजोये सभी सपनो को पूरा करता है। इच्छा सिर्फ भौतिक ही नहीं अंदुरुनी भी होती है।  और वो इच्छा और सपना है बेटी के चेहरे पर हमेशा ख़ुशी देखना । परिवार का एक भी सदस्य खुश है तो उससे सम्बंधित पूरा परिवार खुश रहता है।  जो आपने हमे भी दिया है और अपने पुरे परिवार को भी दिया है। और हमारे पाँव पूजन को सार्थक कर दिया।  जिसके लिए आप एक बार और धन्यवाद के पात्र हैं। साथ ही हमारे सबसे खाश आशीर्वाद के हक़दार बन गए हो। हम पति पत्नी को ताउम्र के लिए ऋणी बना दिए हो।  और यह पुरे संसार में एक ऐसा ऋण है जो दुखी नहीं ख़ुशी देता है।  लोग इसे पाने के लिए क्या क्या नहीं करते हैं लेकिन मिलता है  कुछ खुशनसीब लोंगो को जिनके आप जैसा दामाद के रूप में बेटा मिल जाता है। 
      हमें याद है जब हम पहली बार किसी के द्वारा बताये हुए इस रिश्ते के लिए आप के यहाँ गए हुए थे।  आप को सच में बताये तो हमारे मन में बहुत सी शंकाये थी।  और हमें लगता है वो वाजिब भी थी क्योंकि हमें अपने दिल के टुकड़े को अपने से अलग करके किसी अनजान सी हाथो में सौपना था जिसे हम ठीक से जानते भी नहीं थे।  धोखा तो हमें वो लोग दे देते हैं जो जिंदगी भर साथ रहते हैं फिर आप तो दूर के थे।  उसपर से आपको अपनी बेटी देनी थी। जो हमारे कलेजे का टुकड़ा था।  हम सिर्फ कहने को कहते हैं कि हम 21 वीं सदी रहते हैं। पराये घर की बेटियों के संबंध में हम भारतियों की सोच अब भी 18 वीं सदी की ही है। जिसमें किसी भी प्रकार का बदलाव आज तक नहीं आया है। इसलिए मन में बहुत सी शंकाये और डर थे। आपको देखने के बाद बातचीत शुरू हुयी।  और बातचीत सार्थक रही और सगाई की तारीख पड़ी।  आपको देखने के बाद ख़ुशी हुयी थी लेकिन वो ख़ुशी थोड़ा बाजारू टाइप में था।  जैसे हम बाजार में कोई सामान खरीदने के लिए जाएँ और हमे कम दाम में सबसे अच्छा सामन मिल जाए।  जिस सामन में वो सारे गुण  है जो होना चाहिए।  और उसकी कीमत भी हिसाब से है। सबसे बड़ी बात ये है कि ऐसे ही अच्छे सामान की खोज में बहुत दिनों से लगे थे लेकिन किसी ना किसी कारण से मिल नहीं पा रहा था।  ऐसा नहीं है कि ये ख़ुशी एकदम से बाजारू थी लेकिन क्या है ना आजकल बेटी के लिए दामाद खोजना एकदम से बाजारू हो गया है। सिर्फ फर्क इतना ही है कि दोनों में से एक सजीव है और दूसरा निर्जीव। पहली और असली ख़ुशी तब मन में आयी जब  लोंगो ने आपको सगाई के समय देखा और वे खुश हो रहे भी थे साथ ही अपने से आप से शिकायत भी कर रहे थे कि आप  हमें क्यों नहीं मिले।ऐसा हम भी सोचते थे जब हम किसी के बेटी के शादी में जाते थे और उनके दामाद को देखकर अपने आप से यही शिकायत करते थे की ये हमें क्यों नहीं मिले या ऐसा अच्छा सा दामाद हमे कब मिलेगा जोकि एक बेटी के माँ बाप के लिए वाजिब सोच है। इस शिकायत को हम गलत नहीं ठहरा सकते हैं। इसलिए तब मन प्रफुल्लित हो गया।  और जो शंकाये थी एक बेटी के भविष्य को लेकर वो थोड़ी सी दूर हो चुकी थी।  और शादी आते आते लगभग सभी शंकाये आपने अपने प्रखर और मनमोहित व्यक्तित्व से दूर कर दिए थे। और आज आपकी और बेटी की शादी के २ साल बाद पत्र लिखने तक वो सभी शंकाये कहाँ चली गयी है समझ में ही नहीं आ रहा है। ये सब आपके करिश्माई व्यक्तित्व का ही कमाल है। 
      अब तो लगता ही नहीं है की आप हमारे दामाद हो।  अब ऐसा लगता है की हमारा एक और बेटा था जो हमें अब जाकर मिला है।  वो भी तब जब हमें सिर्फ एक दामाद  की जरुरत थी। और दामाद की जगह एक बेटा मिल गया।   जिस चीज को हम अबतक महसूस नहीं कर पा रहे थे कि हमारा एक और बेटा है।  और वो महसूस आपने करवाया।  करवाया ही नहीं साक्षात बेटे के रूप में सामने खड़े हो गए।  अब हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे 2 बेटे और एक बेटी है। अब आप से जब भी फोन पर बात नहीं होती है तब शरीर में एक अजीब से बेचैनी सी होनी लगाती है।  जैसे ही बात कर लेते हैं पुरे शरीर में  एक ठंडा सा शुकुन मिलता है।  और ये शुकुन कभी कभी अपने सगे बेटे भी नहीं दे पाते हैं जो आप हमे दे देते  हो। जिसकी वजह से हम अपना सारा गम भूल जाते हैं।  और आपके द्वारा दिए गए ख़ुशी के पल में झूम  जाते हैं।  और उसका आनंद लेते हैं। एक बेटी के माँ बाप के लिए इससे ज्यादा और क्या चाहिए। इसी के लिए तो एक घर से दूसरे घर का चक्कर लगाते रहते हैं कि उनकी बेटी को जो भी दामाद और घर मिले वो हमारी बेटी को खुश रख पायेगा की नहीं। नहीं तो किसी भी खुटे में ना ले जाकर बाँध दे। लोग सोचते हैं की माँ बाप बेटी की बिना इच्छा के कहीं भी शादी कर देते हैं।  एक बार भी उस बेटी से नहीं पूछते हैं कि तुम्हे क्या चाहिए। ये इल्जाम लगाने वाले या तो किसी बेटी के बाप नहीं है या अपने आप को एक माँ बाप बनकर नहीं सोचते हैं।  अगर वे ऐसा करें तो उन्हें सारे सवालों के उत्तर मिल जाएंगे।  
        आपकी माँ और छोटे भाई ने भी हमे कम  खुशिया नहीं दिए हैं।  आज आप जो भी हो अपने माँ पिताजी के आशीर्वाद से ही हो।  बहुत छोटे में ही आपके सर पर से पिताजी का हाथ उठ गया था।  उस विषम परिस्थितियों में आपकी माँ ने आपको और आपके छोटे भाई को सम्हाला और आपको अपने पैरों पर खड़ा किया यह बहुत ही मजबूत महिला ही कर सकती है।  और आपकी माँ ने ये किया।  साथ में वही मजबूती आपके अंदर और आपके छोटे भाई में भी डाला।  कभी कभी लोग जब खुद के बल से खड़े होते हैं तो उनके अंदर अहंकार की भावना आ जाती है।  जो कि लाजिमी भी है। लेकिन आपकी माँ के संस्कार इतने अच्छे थे कि यह बिमारी आप के अंदर नहीं आ  पायी है। जिससे आप बहुत ही जल्दी अपने करिश्माई व्यक्तित्व से किसी को भी अपना चहेता बना लेते हो।  यह गुण सभी में नहीं पायी जाती है। ये सब आपको  आपकी माँ और आपके दिवंगत पिता के आशीर्वाद से ही मिला है।  जिसे ऐसे ही बरकरार रखना।  अपने छोटे भाई में भी यही संस्कार डालना।  फिर पूरी दुनिया आपका सम्मान करेगी।  झुक कर नहीं गर्व से। 
     आज हम आपको एक वचन देते हैं आपके जीवन में जो एक पिता की जो कमी रह गयी थी उसे हम पूरा करेंगे।  और आपको उनके बराबर  तो नहीं लेकिन उनके जितना भी हो सकेगा उतना प्यार देने की कोशिश करेंगे।  आपको कभी उनकी कमी महसूस नहीं होने देंगे। बेटी को भी यही कहेंगे की ऐसे पति सभी को नहीं मिलते हैं , इसलिए आप अपने पति का साथ हर फैसलों और हर मुश्किल समय में देना।  साया की तरह उनके साथ बने रहना।  वो खुश रहेंगे यानि आप खुश रहोगे और आप खुश रहोगे यानि हम खुश रहेंगे।  आपकी माँ की सेवा भी वैसे ही करना जैसे घर पर रहकर हमारी करती थी। बेटे की शादी जब भी करेंगे।  दूसरे के घर से आने वाली बेटी को बहु नहीं एक बेटी की तरह रखेंगे।  उसे भी वही प्यार देंगे जो प्यार अपने बेटी को देते थे।
       अपने पत्र को यहीं विराम देते हैं।  अगर कुछ छूट गया हो या लिखने में कोई गलती हुयी होगी तो क्षमा की कामना रखते हैं।  
                                                                                                                      आपका  
                                                                                                            एक बेटी के माँ बाप
www.nayaksblog.com

No comments:

Post a Comment