आमची मुम्बई का मानसून
बूम बूम मुंबई का मानसून,
धूम धूम मुंबई का जुनून।
देर से आये बदरी,
भर दिए चार दिन में,
मुंबई की गगरी ।
ट्रेन बन्द, स्कूल बंद,
बन्द हो गयी सभी ऑफिस
क्योंकि खुला नही गटर का ढक्कन वापिस।
वो तो मुम्बईकर है,
आषाढ़, सावन रहे या भादव,
उन्हें तो सिर्फ मतलब है अपनी रोजी रोटी से,
दूसरे दिन फिर से झोला उठाकर चल देना है।
इसलिए तो लोग मुम्बईकर को मुम्बईकर बोलते हैं
जिन्हें फसना भी आता है,
निकलना भी आता है,
मरना भी आता है
और मरकर, जीना भी आता है।
बूम बूम मुंबई का मानसून,
धूम धूम मुंबई का जुनून।
-अजय नायक
www.nayaksblog.com
देर से आये बदरी,
भर दिए चार दिन में,
मुंबई की गगरी ।
ट्रेन बन्द, स्कूल बंद,
बन्द हो गयी सभी ऑफिस
क्योंकि खुला नही गटर का ढक्कन वापिस।
वो तो मुम्बईकर है,
आषाढ़, सावन रहे या भादव,
उन्हें तो सिर्फ मतलब है अपनी रोजी रोटी से,
दूसरे दिन फिर से झोला उठाकर चल देना है।
इसलिए तो लोग मुम्बईकर को मुम्बईकर बोलते हैं
जिन्हें फसना भी आता है,
निकलना भी आता है,
मरना भी आता है
और मरकर, जीना भी आता है।
बूम बूम मुंबई का मानसून,
धूम धूम मुंबई का जुनून।
-अजय नायक
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nice
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