लेकिन देने से पहले जब सोचता हूँ,
कि जिसे दूंगा जवाब, वो भी तो अपना ही हैं।
अधूरी जानकारी बहुत ही खतरनाक साबित होती है मित्रों। खासकर जब विरोध करने वाले आज के युवाओं को ही यह पता ही ना हो कि वह किस मकसद से और क्यों विरोध कर रहे हैं फला चीज का। तो सोचिए वह युवा कितना खतरनाक साबित हो सकता है आने वाले भविष्य में। यहाँ अगर थोड़ा हम रुके और सम्हलकर सोचे तो आज की यह स्थिति भयावह भविष्य के रूप में ही दिखेगी। जो किसी भी सभ्य समाज और देश के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जायेगा। और आज के भारत में यही हो रहा है। कैसे हो रहा है इसे हम कश्मीर के हालात, 2001 में आई ग़दर फ़िल्म व 2 साल पहले आई पद्मावती फ़िल्म के विरोध में किये गए आंदोलनों के द्वारा समझते हैं।
सन 2001 में ग़दर और लगान दो फ़िल्म थियेटर में आ रही थी । उसी समय लगान के बारे में तो किसी ने कुछ नही बोला। लेकिन ग़दर के बारे में ये अफवाह फैला दी कि ग़दर फ़िल्म मुस्लिम समाज के भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। चूंकि उस फिल्म में महिला कलाकार का नाम शकीना था। और शकीना मोहम्मद साहब की लड़की का नाम था । बस इसी को जरिया बनाकर लोंगो के बीच अफवाह फैलाई गयी कि मोहम्मद साहब के पुत्री को गलत तरीके से दिखाया गया है । इस्लाम धर्म का तिरस्कार वगैरा वगैरा किया जा रहा है। अब इसी के नाम से पूरे भारत में विरोध शुरू हो गए। कहीं पोस्टर फाडे गए तो कहीं थियेटर में या थियेटर के अंदर तोड़फोड़ उस समय मुस्लिम समाज के युवा करने लगे। जैसे कल दिल्ली में हुआ और 3 4दिन पहले बंगाल में हुआ। फिल्ममेकर चिल्लाते रह गए लेकिन उनकी कोई सुन नही रहा था। बस अब लगने लगा कि फ़िल्म रिलीज ही नही हो पाएगी। तभी पूरा यह मसला न्यायालय के सामने गया।
दोनों पक्ष यानी फिल्ममेकर और फ़िल्म का विरोध करने वाले लोग कोर्ट के सामने उपस्थित हुए। व बड़ी बड़ी से अपनी बात कोर्ट के सामने रखी। फिल्ममेकर ने बोला कि फ़िल्म में ऐसा कुछ नहीं है जिससे इस्लाम धर्म या इस्लाम धर्म के पैगम्बर मोहम्मद साहब की बदनामी होती हो। इसके उलट विरोधी कह रहे थे कि यह फ़िल्म इस्लाम धर्म को बदनाम कर रहे हैं इस फ़िल्म के माध्यम से। इसमें मोहम्मद साहब की लड़की को गलत तरीके से पेश किया गया है। तब कोर्ट गिरफ्तार किए गए तोड़फोड़ करने वाले युवकों से व उन्हें नेतृत्व करने वाले मौलानाओं से जब कोर्ट ने एक ही सवाल पूछा कि क्या आपने फ़िल्म देखी है? तो सभी ने एक ही जवाब दिया। कि हमने फ़िल्म नही देखी है। फिर कोर्ट ने पूछा किजब आपने फ़िल्म नही देखी है तो आपको कैसे पता चला कि फ़िल्म में मोहम्मद साहब की लड़की को बदनाम या गलत तरीके से पेश किया गया है? गिरफ्तार किए गए युवा बोले कि मौलानाओं ने कहा कि फ़िल्म में इस्लाम धर्म और मोहम्मद साहब की लड़की शकीना को बदनाम किया गया है। जिसका हमे विरोध करना चाहिए। और हम उसी का विरोध कर रहे हैं। मौलानाओं से पूछा कि अब आप लोगो का क्या कहना है तो उन्होंने अब एक हास्यास्पद जवाब दिया कि चूंकि मोहम्मद साहब की लड़की का नाम शकीना था । तो हम इसलिए विरोध कर रहे हैं। क्योंकि यह हमारे लिए एक पाक नाम है वगैरा वगैरा। तो ये है विरोध करने वाले जिन्होंने बिना फ़िल्म देखे ही पूरी फिल्म को इस्लाम के खिलाफ मां लिया था।
ठीक ऐसे ही 2018 में आई फ़िल्म पद्मावती का विरोध भी एक संगठन के द्वारा किया गया। उन्होंने लोगो मे ये बात फैलाई की इस फ़िल्म में रानी पद्मावती को गलत तरीके से दिखाया गया है। जो कि वह हमारे राजस्थान के लिए देवी से भी बढ़कर है। और उस देवी को फिल्मकारों ने एक बादशाह के साथ आपत्तिजनक हालत में दिखाया है। हम इसी का विरोध कर रहे हैं। विरोध इतना बढ़ा की कई शहरों में हालात बिगड़ कर चिंताजनक हो गए। कहीं कहीं फ़िल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया। कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बावजूद भी बहुत सी जगह फ़िल्म रिलीज़ नही हो पाई। लेकिन जब फ़िल्म देखी गयी तो वही कहावत याद आयी कि "खोदा पहाड़ और निकली चुहिया।" यानि उस फिल्म में कहीं से भी पद्मावती को आपत्तिजनक हालत में मुस्लिम बादशाह के साथ नही दिखाया गया है। उल्टे उनके साहस और वीरता को इतने अच्छे से दिखाया गया है कि थियेटर से बाहर निकलने पर उनके जौहर पर गर्व होता है।
कश्मीर के युवाओं को बहुत पहले से ही भटके हुए युवा की उपाधि मिली हुई है। इसी उपाधि के द्वारा उंन्होने वहां के कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़कर जाने के लिए मजबूर कर दिया। और यही भटके हुए अनजान कश्मीर के युवा आज भी विरोध करते हैं। कश्मीर के अलगाववादी नेताओं, वहाँ के आतकंवादियों एवम पाकिस्तान के भरम में पड़कर । वे वहाँ उनके कहने पर लाठी के साथ साथ गोलियां खाने और चलाने के लिए तैयार बैठे रहते हैं। वो तो शुक्र है कि 370 के हटने की वजह से अगस्त से लेकर आजतक ऐसी कोई घटना नही हुई है। लेकिन उनसे भी पूछो या पूछा गया कि आप भारत का विरोध क्यों करते हैं तो इसका जवाब उनके पास कुछ नही था । लेकिन एक जवाब था कि वे हमें विरोध करने के पैसे देते हैं। इसलिए हम भारत और भारतीय सेना का विरोध करते हैं। उनपर पत्थरों से हमला करते हैं । ताकि छुपे हुए आतंकवादियों को पकड़ने आई सेना या पुलिस से उनका बचाव कर सकें। और इसके बदले में उन्हें और उनके पूरे परिवार को पैसे मिलते हैं। छोटे बच्चों को भी पत्थर मारने के पैसे मिलते हैं। और यह बात हमारे 2011 के कश्मीर भ्रमण के दौरान होटल में काम करने वाले एक कश्मीरी युवा ने बतलाई थी । जो BA पास था। लेकिन नोकरी ना होने की वजह से हमारे ठहरे हुए होटल में वेटर की नोकरी करता था।
ये बाते हम आप लोंगो को इसलिए बतला रहे हैं या आप लोंगो से इसलिए कर रहे हैं कि अभी पूरे भारत में एक बार फिर से आग लगी हुई है। इस बार आग लगी है भारतीय नागरिकता संशोधन बिल (CAB) व NRC पर। इन दोनों में से एक भारतीय नागरिकता संशोधन बिल यानि CAB अभी पास हुआ है। जिसका विरोध पहले पूर्वोत्तर राज्यों में शुरू हुआ। लेकिन अब वहां शांति है। अब ये आग अलीगढ़ विश्वविद्यालय से होती हुई दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय पहुंच गई है। और वहाँ के सभी विद्यार्थी इसका पुरजोर से विरोध कर रहे हैं। लेकिन जब विरोध करने वाले कुछ विद्यार्थियों एवम विद्वानों से पूछा गया कि आप जानते हो CAB के बारे में तो उन्होंने इसके बारे मेंं कुछ भी जवाब नही दिया। तो वे विरोध क्यों कर रहे हैं? तो उनका जवाब था कि ये मुस्लिम विरोधी बिल है। जब पूछा गया कि यह कैसे मुस्लिम विरोधी बिल हो गया तब भी वे कुछ नहीं बोल पाए। जब उनसे कहा गया कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने संसद में व बाहर बार-बार बोला कि यह बिल सिर्फ उन धार्मिक रूप से प्रताणित किये गए पड़ोसी देशों के लोगो के लिए है। भारत की जनता से इसका कोई मतलब नहीं है।खासकर यहाँ रहने वाले किसी भी भारतीय को डरना नही चाहिए। तो भी आप विरोध कर रहे हैं। फिर भी उनका यही जवाब यही था कि यह बिल मुस्लिम विरोधी है। सविधान के खिलाफ है । लेकिन क्यों और कैसे है इसका जवाब कोई भी विरोध करने वाले ना तो दे पाए। और ना ही उनके पास था ही। क्योंकि गृहमंत्री ने संसद में बार-बार कहा कि यह बिल किसी भी भारतीय की नागरिकता नही छिनता है। यह सिर्फ सताए गए लोगो कुछ विशेष लोगों के लिए ही है। इसका यहां के लोगो से कुछ मतलब नहीं है। लेकिन क्या है कि उनके लोगो ने कहा कि यह हमारे खिलाफ है तो हमे इसका विरोध करना चाहिए। अब ये विरोधी उतर आए सड़क पर अपना सबकुछ छोड़कर।
ये हैं, सड़क पर ईट लेकर विरोध करने वाले विरोधी। जिन्हें यह भी नही मालूम होता है कि वे क्यों और किस कारण की वजह से विरोध कर रहे हैं। जबकि उन्हें बार-बार उनके सामने वाला यानि जिसका विरोध करते हैं वह कहते रह जाता है कि आप एक बार मेरी बात या कानून को देखिए , पढ़िए या फिल्मकार बोलते रह जाता है कि फ़िल्म तो देख लीजिए गलत लगे तो प्रतिबंध करवा दीजिये। लेकिन देखेंगे, पढ़ेंगे या उसे समझेंगे तो आपको समझ आएगा कि यह फ़िल्म या कानून या कोई भी चीज हो वह आपके या आपके, आपके समाज, या आपके धर्म के बिल्कुल खिलाफ है या नही है। लेकिन यहाँ तो बिना देखे ही अपने आकाओं के भरम में पड़कर बिना सोचे समझे कि जिसे हम गलत समझ रहे हैं वह अच्छी भी हो सकती है। लेकिन क्या है ना उनके आका ने जो बोल दिया है कि यह चीज हमारे देश, धर्म, समाज, और जाति के खिलाफ है। इसलिए हमें इसका पुर जोर से विरोध करना चाहिए। चाहे वह विरोध किसी भी रूप में क्यों ना हो। सरकारी और प्राइवेट संपत्ति का कितना भी नुकसान क्यों ना हो। बस हमारा काम है विरोध करना । और वो काम हमे तन मन लगाकर बखूभी करना चाहिए। व दूसरों को भी प्रेरित करते रहना चाहिए। ताकि विरोध को अपने चरम सीमा तक पहुंचाया जा सके । भले ही उससे हमे हमारे समाज हमारे धर्म या देश को कुछ भी फायदा मिले या ना मिले।
ठीक ऐसे ही 2018 में आई फ़िल्म पद्मावती का विरोध भी एक संगठन के द्वारा किया गया। उन्होंने लोगो मे ये बात फैलाई की इस फ़िल्म में रानी पद्मावती को गलत तरीके से दिखाया गया है। जो कि वह हमारे राजस्थान के लिए देवी से भी बढ़कर है। और उस देवी को फिल्मकारों ने एक बादशाह के साथ आपत्तिजनक हालत में दिखाया है। हम इसी का विरोध कर रहे हैं। विरोध इतना बढ़ा की कई शहरों में हालात बिगड़ कर चिंताजनक हो गए। कहीं कहीं फ़िल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया। कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बावजूद भी बहुत सी जगह फ़िल्म रिलीज़ नही हो पाई। लेकिन जब फ़िल्म देखी गयी तो वही कहावत याद आयी कि "खोदा पहाड़ और निकली चुहिया।" यानि उस फिल्म में कहीं से भी पद्मावती को आपत्तिजनक हालत में मुस्लिम बादशाह के साथ नही दिखाया गया है। उल्टे उनके साहस और वीरता को इतने अच्छे से दिखाया गया है कि थियेटर से बाहर निकलने पर उनके जौहर पर गर्व होता है।
कश्मीर के युवाओं को बहुत पहले से ही भटके हुए युवा की उपाधि मिली हुई है। इसी उपाधि के द्वारा उंन्होने वहां के कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़कर जाने के लिए मजबूर कर दिया। और यही भटके हुए अनजान कश्मीर के युवा आज भी विरोध करते हैं। कश्मीर के अलगाववादी नेताओं, वहाँ के आतकंवादियों एवम पाकिस्तान के भरम में पड़कर । वे वहाँ उनके कहने पर लाठी के साथ साथ गोलियां खाने और चलाने के लिए तैयार बैठे रहते हैं। वो तो शुक्र है कि 370 के हटने की वजह से अगस्त से लेकर आजतक ऐसी कोई घटना नही हुई है। लेकिन उनसे भी पूछो या पूछा गया कि आप भारत का विरोध क्यों करते हैं तो इसका जवाब उनके पास कुछ नही था । लेकिन एक जवाब था कि वे हमें विरोध करने के पैसे देते हैं। इसलिए हम भारत और भारतीय सेना का विरोध करते हैं। उनपर पत्थरों से हमला करते हैं । ताकि छुपे हुए आतंकवादियों को पकड़ने आई सेना या पुलिस से उनका बचाव कर सकें। और इसके बदले में उन्हें और उनके पूरे परिवार को पैसे मिलते हैं। छोटे बच्चों को भी पत्थर मारने के पैसे मिलते हैं। और यह बात हमारे 2011 के कश्मीर भ्रमण के दौरान होटल में काम करने वाले एक कश्मीरी युवा ने बतलाई थी । जो BA पास था। लेकिन नोकरी ना होने की वजह से हमारे ठहरे हुए होटल में वेटर की नोकरी करता था।
ये बाते हम आप लोंगो को इसलिए बतला रहे हैं या आप लोंगो से इसलिए कर रहे हैं कि अभी पूरे भारत में एक बार फिर से आग लगी हुई है। इस बार आग लगी है भारतीय नागरिकता संशोधन बिल (CAB) व NRC पर। इन दोनों में से एक भारतीय नागरिकता संशोधन बिल यानि CAB अभी पास हुआ है। जिसका विरोध पहले पूर्वोत्तर राज्यों में शुरू हुआ। लेकिन अब वहां शांति है। अब ये आग अलीगढ़ विश्वविद्यालय से होती हुई दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय पहुंच गई है। और वहाँ के सभी विद्यार्थी इसका पुरजोर से विरोध कर रहे हैं। लेकिन जब विरोध करने वाले कुछ विद्यार्थियों एवम विद्वानों से पूछा गया कि आप जानते हो CAB के बारे में तो उन्होंने इसके बारे मेंं कुछ भी जवाब नही दिया। तो वे विरोध क्यों कर रहे हैं? तो उनका जवाब था कि ये मुस्लिम विरोधी बिल है। जब पूछा गया कि यह कैसे मुस्लिम विरोधी बिल हो गया तब भी वे कुछ नहीं बोल पाए। जब उनसे कहा गया कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने संसद में व बाहर बार-बार बोला कि यह बिल सिर्फ उन धार्मिक रूप से प्रताणित किये गए पड़ोसी देशों के लोगो के लिए है। भारत की जनता से इसका कोई मतलब नहीं है।खासकर यहाँ रहने वाले किसी भी भारतीय को डरना नही चाहिए। तो भी आप विरोध कर रहे हैं। फिर भी उनका यही जवाब यही था कि यह बिल मुस्लिम विरोधी है। सविधान के खिलाफ है । लेकिन क्यों और कैसे है इसका जवाब कोई भी विरोध करने वाले ना तो दे पाए। और ना ही उनके पास था ही। क्योंकि गृहमंत्री ने संसद में बार-बार कहा कि यह बिल किसी भी भारतीय की नागरिकता नही छिनता है। यह सिर्फ सताए गए लोगो कुछ विशेष लोगों के लिए ही है। इसका यहां के लोगो से कुछ मतलब नहीं है। लेकिन क्या है कि उनके लोगो ने कहा कि यह हमारे खिलाफ है तो हमे इसका विरोध करना चाहिए। अब ये विरोधी उतर आए सड़क पर अपना सबकुछ छोड़कर।
ये हैं, सड़क पर ईट लेकर विरोध करने वाले विरोधी। जिन्हें यह भी नही मालूम होता है कि वे क्यों और किस कारण की वजह से विरोध कर रहे हैं। जबकि उन्हें बार-बार उनके सामने वाला यानि जिसका विरोध करते हैं वह कहते रह जाता है कि आप एक बार मेरी बात या कानून को देखिए , पढ़िए या फिल्मकार बोलते रह जाता है कि फ़िल्म तो देख लीजिए गलत लगे तो प्रतिबंध करवा दीजिये। लेकिन देखेंगे, पढ़ेंगे या उसे समझेंगे तो आपको समझ आएगा कि यह फ़िल्म या कानून या कोई भी चीज हो वह आपके या आपके, आपके समाज, या आपके धर्म के बिल्कुल खिलाफ है या नही है। लेकिन यहाँ तो बिना देखे ही अपने आकाओं के भरम में पड़कर बिना सोचे समझे कि जिसे हम गलत समझ रहे हैं वह अच्छी भी हो सकती है। लेकिन क्या है ना उनके आका ने जो बोल दिया है कि यह चीज हमारे देश, धर्म, समाज, और जाति के खिलाफ है। इसलिए हमें इसका पुर जोर से विरोध करना चाहिए। चाहे वह विरोध किसी भी रूप में क्यों ना हो। सरकारी और प्राइवेट संपत्ति का कितना भी नुकसान क्यों ना हो। बस हमारा काम है विरोध करना । और वो काम हमे तन मन लगाकर बखूभी करना चाहिए। व दूसरों को भी प्रेरित करते रहना चाहिए। ताकि विरोध को अपने चरम सीमा तक पहुंचाया जा सके । भले ही उससे हमे हमारे समाज हमारे धर्म या देश को कुछ भी फायदा मिले या ना मिले।
-ब्लॉगर अजय नायक
-www.nayaksblog.com
#Cab#
#NRC#
#NRC#
nice information
ReplyDeleteधन्यवाद अजय
Deleteअप्रतिम
ReplyDeleteधन्यवाद कल्पेश
Deleteबहुत सुन्दर जानकारी 👌👌
ReplyDeleteशुक्रिया
ReplyDeletePleasure to read
ReplyDeleteThanks
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