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Wednesday 15 April 2020

कमियाँ


कमियाँ


किसी के अंदर से कमियां निकालना तो बहुत ही आसान है। लेकिन उन कमियों को भरना उतना ही कठिन है।

             जैसे ताला जबतक दरवाजे की कुंडी से दूर रहता है तबतलक उसकी ताकत का अंदाजा ही नही लगता है । हमे उसमें तमाम प्रकार की खामियां नजर आती है। लेकिन दरवाजे पर लगी हुई कड़ी के खाली कुंडी में जाते ही वही ताला पूरे घर का सबसे विश्वासी रक्षक हो जाता है। और हम निश्चिंत होकर, अपना पूरा घर उसके भरोसे छोड़कर, कहीं भी चले जाते हैं।
     
छत्रपति शिवाजी महाराज (गेटवे ऑफ इंडिया, मुंबई) pic by AJAY NAYAK








              छत्रपति शिवाजी महाराज में भी तो साहस और विश्वास को छोड़कर बहुत सी कमियां थी । ना तो उनके पास दुश्मन से लड़ने के लिए बहुत बड़ी सेना थी। ना तो दुश्मन से लड़ने के लिए अपार हथियार, अर्थ ( रुपया ) और अन्य तरह के संसाधन ही थे। और तो और ना ही उनके पास दुश्मन से लड़ने के लिए ही साहसी कर्त्तव्य परायण निष्ठावान लोग ही थे।  और था, तो कुछ मुट्ठीभर भर विश्वसनीय लोग जिनपर आँख मूंदकर भरोसा कर वे सकते थे। एवम माँ जीजाबाई माता का आशीर्वाद व उनकी शिक्षा। जिन्होंने सिखाया था कि सभी से प्यार करो एवं उन्हें समान दर्जा दो। ना तो कोई बड़ा है और ना ही कोई छोटा है। यह सीख तो बहुत ही बड़ी थी । लेकिन असल मे इससे तो किसी भी बड़ी चुनौती या ताकत से लड़ा नही जा सकता था। क्योंकि यह कुछ हद तक की ही कमियों को दूर करती थी।
         
               जो कुछ लोग उनके साथ थे भी । वे उनकी स्वराज्य स्थापना की बात सुनकर कुछ उनमें से, और कुछ भी उनके दुश्मन हो गए। क्योंकि उन्हें लगने लगा कि शिवाजी महाराज के द्वारा स्वराज्य स्थापना से उनका सब कुछ छीन जाएगा। पूरे राज्य पर उनका ही शासन होगा। उनके पास कुछ नहीं होगा। जिसके लिए वे शिवाजी महाराज के विरोध में उतरकर दुश्मन का साथ देने के लिए भी तैयार हो गए थे। और बहुतांश ने दिया भी ।




       
              छत्रपति शिवाजी महाराज खुद की कमियों को जानते थे । साथ ही अपने साथीदारों की कमियों को भी जानते थे। उन्होंने अपनी कमियों को भरने को छोड़कर अपने साथीदारों की कमियों को भरा। साथ ही उन्हें यह एहसास  भी दिलाया कि उनके महाराज में भी कुछ कमियां हैं जिसे वे भर सकते हैं। इसप्रकार छत्रपति शिवाजी महाराज की कमियों को उनके साथीदारों ने भरा। जिससे स्वराज्य स्थापना जैसा बड़ा और महान कार्य संपन्न हुआ।
           
               लेकिन यह कैसे संपन्न हुआ? छत्रपति शिवाजी महाराज के साथी सरदार और मावळे उनके महत्त्व को जानते थे । आखिर उन्हें सम्मान देने वाला भी वही अपार कमियों वाला छत्रपति शिवाजी महाराज ही जो थे । उन्होंने ने ठानी की हम अपने साहस और कर्त्तव्यनिष्ठा से उनकी कमियों को भरेंगे ।




         
             अगर छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने सरदारों एवम मावलों की कमियों को निकालने ने में ही समय बिताया होता तो स्वराज्य की स्थापना कभी ना हो पाई होती। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने सरदारों व मावलों की कमियों को भरा । व मावळे और उनके सरदारों ने मिलकर अपने महाराज छत्रपति शिवाजी महाराज की कमियों को पूर्ण किया । जिसके रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने और अपने सरदारों व मावलों के अदम्य साहस के बल पर पूरे महाराष्ट्र को ही नही पूरे भारत को स्वराज्य स्थापना करके दिया।





               यहां पर हम छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवनी से हम यही सीख सकते हैं कि किसी के कमियों को निकालने की जगह अगर हम उसकी कमियों को पूरा करने की या भरने की कोशिश करें। कमियां पूर्ण होते ही अपने आप अपार कमियों वाला व्यक्ति भी अपार संभावनाओं से भरा हुआ पूर्ण व्यक्ति लगने लगेगा। इससे उसके सपने तो पूरे होंगे ही साथ ही साथ आपके सपने भी पूरे होंगे। उसके साथ साथ निष्ठा, अदम्य साहस, विश्वास और मान सम्मान में बढ़ोतरी ही होगी। और यह सब सिर्फ उसके हिस्से में ही नही बढ़ेगी। आपके हिस्से में भी उतनी ही बढ़ेगी। इसलिए कमियों को ढूढों साथ में उसे भरो भी।

        - ब्लॉगर अजय नायक

    www.nayaksblog.com

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