परेशानियों में भी जीना सीखो
हमें भी था बड़ा गुमान
अपनी परेशानियों पर।
यही सोचते विचारते
कुछ दूर ही तो चले थे।
परेशानियों के सफ़र में
मिल गया, हमराही एक।
सोचे, क्यों ना इससे ही कर दूं,
अपनी परेशानियों का बख़ान।
अभी उससे, पाते कुछ भी कह
तपाक से, उसने ही दिया बोल ।
अरे बड़े भाई, हमारी परेशानियाँ तो,
खत्म ही होने का, नहीं ले रही है नाम।
एक को तो, कैसे कैसे ,
निपटाते हैं हाय तौबा मचाकर।
तबतलक इस बियावान जीवन में
दूसरी खड़ी हो जाती है, सूर्पनखा बन।
तब उसे देखकर ऐसा लगा
रास्ते में, उसे नही मिला कोई।
इसलिए तो हमे ही पाते
अपने सिर रखे हुए घड़े का पानी
दिया हम पर ही पूरा उड़ेल ।
माथा पकड़ लिया हमने भी
क्या बोलें, क्या ना बोले अब।
लगा ऐसा, उसकी बाते सुन
जो नही था, हमारे इतना किसी के पास।
जिन परेशानियों पर था बड़ा गर्व
उसका एक अंश भी, अपना न था अब ।
उस हमराही से, यही मिली सीख
जो है उसपर ही कर लो गर्व
जो है उसपर ही कर लो संतोष।
हम सबको पता ही है वह बात
जल नही तो मछली नही।
जल नहीं तो जीवन नहीं।
तो आज एक बात गाँठ लो
जीवन मे परेशानियों का घर नही
तो जीवन में आनंद का अंबार नही।
- BLOGGER अjay नायक
right
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteKya baat hai
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