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Saturday 15 August 2020

एक विद्यार्थी ( विद्यालय में इस साल आजादी न मना पाने पर )

एक विद्यार्थी ( विद्यालय में इस साल आजादी न मना पाने पर ) 


आज हम अपनी आजादी के 73 साल पूरे करके 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। लेकिन इस साल करोना महामारी की वजह से आम विद्यार्थी अपने विद्यालय में भाग नही ले सकते हैं। मन बहुत ही उदास है फिर भी पूरे देश में करोना जैसी विश्वव्यापी महामारी के बावजूद आजादी दिवस के प्रति लोंगो का उत्साह बिल्कुल कम नही हुआ है। आप हर जगह देख सकते हैं भारत के युवाओं को भी जो अपनी अपनी क्षमता नुसार स्वतंत्रता दिवस को मनाने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं। और इस करोना समय में भी अपने जोश में किसी भी प्रकार की कोई कमी आने भी नही देना चाहते हैं। और छोड़े भी तो कैसे छोड़े, आज इसी वजह से तो वो भारत की इस खुली हवा में कुछ सोच सकता है, और उसे यथार्थ में बदलने के बारे में कुछ कर सकने की हालत में जो हैं । 


इस करोना कि वजह से हमारे छोटे छोटे बच्चों का जोश जरूर थोड़ा बहुत कम हुआ है। वे इस दिन का तो बहुत ही बेसब्री से इंतजार जो किया करते थे। सुबह जल्दी से उठना, नहा धोकर अच्छे और साफ सुथरा विद्यालय का गणवेश पहनना। पापा का विद्यालय तक छोड़ने जाना और फिर साथ मे वहाँ से लेकर आना। अच्छा खाली हाथ तो बिल्कुल ही नही आना । विद्यालय के द्वारा मुँह मीठा करवाना। और सागर कोई और भले आदमी आ गए तो बहुत कुछ उस दिन मिलना। एकदम आनंद ही आनंद। 

अगर हमे कुछ नही भी मिलता है तो भी उस दिन की खुशी में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं आती थी और न आज भी आती है भले ही बड़े क्यों न हो गए हों। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की बात ही कुछ और है साढ़े तीन साल की उम्र से लेकर कॉलेज तक पढ़ने वाले सभी बच्चों में उस दिन एक अलग तरह की ही लौ जल जाती है। आप बोल और अंदाजा लगा सकते हैं कि वो एकदम प्राकृतिक उल्हास व आंनद।

स्वतंत्रता दिवस के दिन का आनंद ऐसे ही थोड़े ही ना आ जाता है। उसकी नींव तो महिनों पहिले ही पड़ जाता है । जब विद्यालय स्वतंत्रता दिवस के दिन का नियोजन और कार्यक्रम के बारे में हमे बताता है। या कहीं से हमारे कानो में पड़ जाती है। फिर एक हफ्ता या 15 दिन पहले से ही स्वतंत्रता दिवस के दिन होने वाले कार्यक्रम पर रिहर्सल जब शुरू हो जाती है। और भाग लेने वाले लोग रिहर्सल के लिए जाने लगते हैं। जो भाग नही लेते हैं वे भी झंडारोहण के समय झंडे को सलामी कैसे देना है, जनगणमन कैसे बोलना है, खड़े कैसे होना है, और नारा कैसे लगाना है। कि रिहर्सल के लिए छुट्टी होने से आधा घंटा पहले उतरते हैं। 

पूरा शरीर तब जोश से भर जाता था जब हम लोग वंदे मातरम, भारत माता की जय, महात्मा गांधी अमर रहे, पंडित जवाहर लाल नेहरू अमर रहे , झंडा ऊँचा की जय जैसे नारों से पूरे विद्यालय क्षेत्र को गुंजायमान कर देते थे। रिहर्सल के समय भी और स्वतंत्रता दिवस के दिन का तो पूछो मत। अरे वाह! पूरे वातावरण को देशभक्ति के रंग में अपने जोश से भर देते थे। क्या हुआ हमने आजाद कराने में भाग नही ले पाये हैं। उनके द्वारा दी गयी आजादी को सम्हालने में तो कुछ अंश अपना दे ही सकते हैं।

वैसे हम लोग विद्यालय कभी समय न पहुंचते थे और न ही पहुंचना चाहते हैं या थे। लेकिन मजाल है कि उस दिन 2 मिनट की भी देरी हो जाये। देरी होने पर सबसे पहले घर में ही बवाल। माँ से हजार शिकायते। और मां कैसे भी करके हमे मनाकर विद्यालय पापा के साथ या दोस्तों के साथ भेज देना। अच्छा एक बात और स्वतंत्रता दिवस के दिन जो बच्चें कभी नही आते वे भी अपना मुख दर्शन करवा जाते है । और, हम और हमारे दोस्त व शिक्षक उससे जरूर मिलते थे वह भी गर्मजोशी से। कुछ भी हो जब देश के सम्बंध में बात आई तो कभी विद्यालय न आनेवाला भी देश के देश के साथ अपना योगदान देने के लिए खड़ा हो जाता है। यह तो एक मायने में बहुत बड़ी बात है। अगर आप देश के साथ हो तभी देश है । और जब देश है तो आप भी तभी हो। इस बात को हम सबको ध्यान रखना चाहिए।  

खैर इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस को हम भले ही विद्यालय में नही मना पाए हैं। लेकिन करोना को हरा कर हम फिर से अपने विद्यालय, महाविद्यालय के प्रांगण में एकत्रित होकर पूरी दुनिया को दिखाएंगे की हमने लड़ाई जीत ली है। और अगर चालू भी है तो उसका अपने जीवन पर असर नही पड़ने देंगे। लड़ेंगे भी और खुशियों को भी अपने परिवार, दोस्त, समाज, देशवासियों के साथ मनायेंगे भी । वो भी पूरे हर्षोल्लास के साथ। 

हमे लगता है आप लोग भी हमारी तरह थोड़े निराश जरूर होंगे । लेकिन चिंता मत करिए । अपने हौंसले को बुलंद रखिये। जीत हमारी जरूर होगी। वैसे भी हमने अपने सबसे कम संसाधनों के बल पर लगभग 70 प्रतिशत लड़ाई तो जीत ली है। तो 30 प्रतिशत लड़ाई के लिए तो हम संसाधन के रूप में भी तो बहुत ही मजबूत हो चुके हैं। आप जापान को जानते ही हैं । हर दिन भूकम्प आते हैं । कई बार तो एकदम से तबाह हो गए लेकिन अपने हौसलें के बल पर हँसते मुस्कराते खड़े हो जाते हैं। लगता ही नही है कि कल का जापान ऐसा रहा होगा। वैसे ही हम भी खड़े हो जाएंगे। और अगली झंडावंदन अपने विद्यालय के प्रांगण में ही करेंगे। 

आज नही तो कल

ये काले बादल जरूर छठेंगे

जो रास्ते पटे पड़े है काँटों

कल वही हमारा स्वागत करेंगे

हमारी मेहनत के सुमनो से।

।।जय हिंद, जय भारत माता की।।

-BLOGGER अjay नायक


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