जब भी अकेले पाते हैं
तुम्हे याद बहुत करते हैं।
जब हम बातों बातों में
पूरा दिन बिता दिया करते थे।
जब हमारी सुबह की शुरुआत
तुम्हारी जयरामी से हुआ करती थी।
दोपहर की वो कड़कती धूप
तुम्हारे गेसुओं के सांये में बिता करती थी।
ढलते सूर्य की बेला में
बैठ नदी के तीरे,
तुम्हारे अश्क को निहारा करते थे।
पूर्णिमा की वो चाँदनी रात में
सिर रखकर तुम्हारे बाहों में
बस उसे निहारते रात गुजारा करते थे।
वो सब कुछ याद आता है
जब तुम पास नही होती हो
और हम तन्हाईयों में समय बिताया करते हैं।
-BLOGGER अjay नायक
धन्यवाद जी
ReplyDelete