किसकी राह देखते हो ?
रुके हो बहुत दिनों से,
न तो यहाँ से जाते ही हो,
न ठीक से रुकते ही हो,
मन इतना विक्षिप्त क्यों है ?
क्या मन ने कुछ बतलाया है ?
किसकी राह देखते हो ?
एक टक टकी सी नजर
टिकी रहती है चौराहे पर
क्या आने वाला है अपना कोई ?
यहां से जाने वाला है अपना कोई ?
किसकी राह देखते हो ?
कुछ तो हमे भी बतलाओ
हो सके तो हमे भी सुनाओ
अपने मन की इस व्यथा को ,
आपका दिल इतना बेचैन क्यों हैं?
क्या दिल की धड़कने कुछ बता रही है ?
किसकी राह देखते हो ?
अब हमसे कुछ तो बोल दो
अपने दिल के राज खोल दो
शायद हम कुछ कर सकें
दिलों में बनी खायी को पाट सकें
बस एक बार विश्वास करके देख लो
भले ही सारी उम्र उलाहना दे लो
किसकी राह देखते हो ?
- BLOGGER अjay नायक
Nice
ReplyDeleteThanks
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