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Saturday 8 August 2020

त्याग दिया हर उस चीज को

त्याग दिया हर उस चीज को




त्याग दिया हर उस चीज को

बाँधा बन रही थी, जो राहों में।


निकल पड़ा हूँ, एक नई राह पर

जहाँ त्याग ही त्याग, है राहों में।


अब खुश हूँ भले ही कम मौके है

 अब चल रहा हूँ भले ही पैरों में छाले हैं।


लेकिन,मन, तन दिल मे एक तस्सली सी है

जो नही थी त्याग से पहले राहों में।


रातों में नींद अब बड़ी अच्छी आती है

जो गायब हो चुकी थी रेशम के गद्दों पर।


खुला आसमान चद्दर से भी बढ़कर लगता है

चैन की नींद सो जाते हैं अब घास के गद्दे पर।


बड़ी ही ताकत है इस त्याग में

दोनों तरफ से जीवन को रुलाता है।


बस इतना ही इंसाफ सबके साथ करता है

एक तरफ हमे दुख के लोर से रुलाता है

दूसरी तरफ खुशियों के लोर से रुलाता है।


त्याग दिया हर उस चीज को

बाँधा बन रही थी, जो राहों में।





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