घोर अंधकार फैला आज हमारी गलियों में
घोर अंधकार फैला, आज हमारी गलियों में,
जिन्हें लगेंगे अभी कुछ दिन और छटने में।
विश्वास की आग, जली है हमारे तनमन में,
देखना वही घने अंधकार, उड़ जाएँगे
एक दिन, हमारे एक हुंकार से।
जी हाँ हम फिर से मुस्करायेंगे,
साथ में पूरा जवार मुस्कराएगा।
हम फिर से उन्ही रास्तों पर चलेंगे,
जिन्हें छोड़कर बैठें हैं अपने घरों में।
माना, थोड़ी मुसीबतें हैं,
आज हमारी राहों में।
है विश्वास, हमारे मनो में,
एक दिन वही राहे,
हमारी मेहनत के सुमनो से बिछे होंगे।
आज घना, बादल है आकाशों में
जिनके डर से ही, हमारी छतें रिसने लगी हैं।
बह रही है विश्वास की लहर, हमारे रगों रगों में,
एक दिन वही घने बादले,
छटेंगे हमारे संयम भरे आश्रमों से।
घोंर अंधकार, फैला आज हमारी गलियों में,
जिन्हें लगेंगे कुछ दिन छटने में।
विश्वास की आग जली है, हमारे तनमन में,
देखना एक दिन वही घने अंधकार उड़ जाएँगे
हमारे विश्वास से भरे हुंकारो से।
-BLOGGER अjay नायक
Nice
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteधन्यवाद मित्र
ReplyDelete