दीप
दीप प्रज्वलित हुआ एक चौखट पर
फैला उजाला हमारे सारे आंगन मे।
काली अमावस की इस घनी रात में
खुद जलकर जो हमे रास्ता दिखलाये।
आओ मनो में फैले, उस काली तम को दूर करें
प्रकाश रूपी एक विश्वासी दिपक से।
माना टुकड़ों में बटा हुआ है दिपक का प्रकाश
गागर, सागर भी तो भरता है बूंद बूंद पानी से।
आईये हम सब मिलकर एक दीपक जलाएं
फैल जाए उसका उजाला दिलों के आंगन में।
हमारी बुराईयों की काली अमावस से
जो खुद जलकर, लड़ पड़े हमारे लिए।
-ब्लॉगर अजय नायक
www.nayaksblog.com

Super
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteNice
ReplyDeleteTHANKS
DeleteExcellent 👌👍
ReplyDeleteTHANKS
Delete👍
ReplyDeleteTHANKS
DeleteNice ji
ReplyDeleteTHANKS JI
Delete