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Wednesday, 16 September 2020

दीप

दीप



दीप प्रज्वलित हुआ एक चौखट पर
फैला उजाला हमारे सारे   आंगन मे।

काली अमावस की इस घनी रात में  
खुद जलकर जो हमे रास्ता दिखलाये। 
 
आओ मनो में फैले, उस काली तम को दूर करें
प्रकाश रूपी एक विश्वासी दिपक से।

माना टुकड़ों में बटा हुआ है दिपक का प्रकाश
गागर, सागर भी तो भरता है बूंद बूंद पानी से।

आईये हम सब मिलकर एक दीपक जलाएं
फैल जाए उसका उजाला दिलों के आंगन में।

 हमारी बुराईयों की काली अमावस से 
  जो खुद जलकर, लड़ पड़े हमारे लिए।  
            -ब्लॉगर अजय नायक
www.nayaksblog.com

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