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Thursday 8 April 2021

ममता का आँचल

 ममता का आँचल

Pic bye google 



माँ, ओ माँ,
तेरी, आँचल के छाँव में
उंगली, पकड़ कर चले।

माँ, ओ माँ,
तेरी ममता के छाँव में
कड़क, बनकर निकले।

माँ, ओ माँ,
तेरे निश्छल प्यार के सांये में
लोहा, बनकर निकले।

माँ, ओ माँ,
तेरी सुखी रोटी खाकर
मजबूत बनकर निकले।

माँ, ओ माँ,
आज जो कुछ भी हैँ हम 
वो तेरे ही समर्पण से हैँ।

माँ, ओ माँ,
आज जो कुछ भी हैँ हम
वो तेरे उन खुर्दरे हाथों से हैँ।

माँ, ओ माँ,
आज जो कुछ भी हैँ हम 
तेरे टूटे खुद के अधूरे सपनों से हैँ।

माँ, ओ माँ,
आज जो कुछ भी हैँ हम 
तेरी वर्षों उस टूटी चप्पल से हैँ।

माँ, ओ माँ,
आज जो कुछ भी हैँ हम
तेरे खाली पेट की वजह से हैँ ।

माँ, ओ माँ,
तूने ही तो सम्हाला है हमें 
तूने ही तो पाला है हमें।

तू ना अगर होती
तो कैसे देख पाते
ये अलबेली अजनबी अजुबी दुनिया।

तू ना अगर होती
तो कैसे नाप पाते 
ये मुश्किलों भरे जीवन के भवर को।

तेरा यह एहसान, एक जन्म क्या,
सात जनm भी न उतार पाएंगे।
बस यही हमेशा चाहत रहेगी
तू ही बने हर जनम माँ मेरी।
BLOGGER अjay नायक
www.nayaksblog.com 





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