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Tuesday 28 September 2021

प्यार, अपनी अपूर्णता से पूर्णता की ओर

प्यार, अपनी अपूर्णता से पूर्णता की ओर 





हम इतिहास में जाएँ तो हमे प्यार से सम्बंधित हजारों कहानियाँ मिल जाएगी लेकिन हमे प्यार की वही कहानिया सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं या हम उन प्यार वाली कहानियों को ही पवित्र मानते हैं जिसमे दोनों एक दूसरे से मिल ही नहीं पाते है।  एक सफल शादी होने बाद भी! भगवान श्री राम और माता सीता की कहानी भी कुछ इसी तरह की है।  भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्यार की भी कहानी भी कुछ इसी तरह की है। आज के युग में देखे तो हीर-राँझा से लेकर लैला-मजनू तक की कहानिया हमे नजर में आ जाएंगी। जहां दो प्रेमी कभी एक दूसरे से मिल ही नहीं  पाते हैं। 

कभी कभी हमे लगता है प्यार बहुत ही आसान चीज है। इसमें एक लड़का इक लड़की से प्यार करता है। या इक  लड़की एक लड़के से प्यार करती है। वे दोनो एक दूसरे के साथ समय बिताते है। और आगे चलकर उन दोनों की शादी हो जाती।  यही प्यार है।  और अगर शादी हो गयी तो, वह प्यार सफल प्यार मान लिया जाता है। नहीं हुयी तो बस एक दूसरे के ही यादों में रहकर समय के साथ डिपोर्ट हो जाते हैं। लेकिन क्या वाकई में प्यार ऐसा है?




अभी पिछले महीने अगस्त में कारगिल युद्ध पर आधारित शेरशाह फिल्म आयी थी। जो कारगिल युद्ध के साथ उस युद्ध के एक हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा की बहुदारी के साथ एक चीज के बारे में और भी था।  जिसके बारे में बहुत से लोगों को पहले से पता था लेकिन बहुत से या आज कि पीढ़ी को शेरशाह फिल्म देखने के बाद ही पता चला की यह फिल्म एक पवित्र प्रेम की कहानी को भी बया कर रही है। जिससे उस समय के लोग भी अनजान थे और आज की पीढ़ी तो बिल्कुल ही अनजान थी।

हम बात कर हैं विक्रम बत्रा और डिम्पल चीमा के प्रेम कहानी के बारे में। जो अपने निश्चित स्थान या पूर्ण तक तो नहीं पहुंच पायी लेकिन अग्नि की तरह पवित्र होने की वजह से पूर्ण से बहुत आगे तक निकल गयी। भले ही यह प्यार दोनों तरफ से निभाया नहीं जा रहा हो। लेकिन डिम्पल चीमा ने अपने निस्वार्थ भाव से विक्रम बत्रा और डिम्पल चीमा के प्यार को जन्मो जन्मो के लिए अमर कर दिया। जिसे भविष्य में हीर राँझा के प्यार की तरह लोग बड़े ही आदर से विक्रम-डिम्पल के नाम से जानेगे। इसका कारण भी है डिम्पल के निस्वार्थ त्याग की वजह। जिसमे डिम्पल ने अपनी अभी तक की पूरी जवानी खंपा दी है। और आज भी वह अपने उस खोये हुए प्यार को उतने ही शिद्द्त से निभा भी रही है। ऐसा कार्य बहुत ही कम लोग कर पाते हैं। और जो करते हैं वही इतिहास के पन्नो पर अपना पवित्र स्थान बना पाते हैं। 





सितंबर महीने की शुरुआत में ही उधर हिंदी टेलीविज़न जगत से एक बहुत ही बुरी खबर आयी। टीवी जगत के प्रसिद्ध और होनहार कलाकार सिद्धार्थ शुक्ला का दिल का दौरा पड़ने से स्वर्गवास हो गया। इसमें भी डिम्पल जैसी एक लड़की शहनाज गिल है। वह भी कुछ उसी तरह सिद्धार्थ से प्यार करती है जैसा डिम्पल विक्रम से करती थी। डिम्पल चीमा और विक्रम बत्रा की तरह ही शहनाज गिल और सिद्धार्थ शुक्ला का प्यार भी शादी के बंधन में बधने से पहले ही बिखर गया। दोनों की कहानियां बिल्कुल ही अलग है। लेकिन प्यार एक ही तरह का है। दोनों जीवन में आयी हुयी परिस्थितियां एक जैसी ही है। 

मिडिया और कुछ जानकारों का कहना है कि दोनों ने सगाई कर ली थी। बस कुछ ही महीनो में शादी भी करने वाले थे। वे दोनों शादी करते उससे पहले ही सिद्धार्थ का दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाती है। जिस प्रकार से शहनाज सिद्धार्थ के मृत शरीर से लिपटकर रोती है। उससे बाते करती है। और वही नहीं, वह अभी भी उस सदमे से बाहर निकल नहीं पायी है। अभी भी वैसे ही बे सुध जैसी पड़ी रहती है। खाना पीना भी ठीक से नहीं खाती है। जैसे उसे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि सिद्धार्थ शुक्ला अब इस दुनिया में नहीं रहा। 





आप इस प्यार का कोई भी नाम रख सकते हैं। आप अपने हिसाब से इसके बारे में कुछ भी बोल सकते हैं। लेकिन हमारे हिसाब से यह एक अलग तरह का रिस्ता ही था। अलग तरह का क्या उससे भी बहुत ही आगे का रिस्ता था। तभी तो शहनाज गिल के पिता और भाई ने सिद्धार्थ का टैटू अपने हाथों पर बनवाया। यह सचमुच में अपने आप में अलग तरह का किस्सा है। 

शहनाज गिल एक जगह पर एक प्रश्न के जवाब में कहती भी हैं कि "हम गर्ल फ्रेंड और बॉय फ्रेंड तो नहीं है। लेकिन हमारे बिच का रिस्ता इससे भी बढ़कर बहुत आगे का है।" सिद्धार्थ भी शहनाज से उतना ही प्यार करते थे जितना शहनाज गिल उनसे करती थी। दोनों ने कभी भी अपने प्यार को लोगों के सामने जग जाहिर तो नहीं किया। फिर भी दोनों के बिच का रिस्ता किसी नाम का मोहताज तो बिलकुल भी नहीं था। कुछ अलग तरह का रिस्ता था तभी तो दूसरी तरफ बिना शादी के ही शहनाज गिल ने सिद्धार्थ के मृत्यु के उपरांत की सभी रस्मे निभाई। वह अब भी सिद्धार्थ के घर पर ही रह रही हैं और वहां पर उनकी देखभाल सिद्धार्थ की माँ ही कर रही है। वह वैसे ही पहले दिन की तरह बेसुध पड़ी हुयी हैं। 





उधर डिम्पल ने भी एक साक्षत्कार में बतलाया कि कैसे विक्रम लड़ाई पर जाने से पहले, मेरी मांग में सिंदूर और मेरे दुपट्टे को पकड़ कर सात फेरे ले लिए थे। और लड़ाई पर जाते वक्त मुझसे कहा था कि अब आप डिम्पल चीमा की जगह बत्रा हो गयी हो। कारगिल युद्ध से वापस आकर हम बड़े ही धूम-धाम से हम शादी करेंगे। लेकिन कहते हैं ना किस्मत को जो मंजूर होता है या हमारी नसीब में जो लिखा होता है वही होता है। पहले तो डिम्पल चीमा के परिवार को यह रिस्ता बिल्कुल ही मंजूर नहीं था। कैसे-कैसे मंजूर हुआ और डिम्पल के परिवार वाले राजी हुए तो विक्रम बत्रा ही कारगिल युद्ध में शहीद हो गए।  


डिम्पल आज भी विक्रम की याद में जी रही है। उन्होंने अभी तक शादी नहीं की। वो एकदम से खुद को विक्रम के लिए समर्पित करके विक्रम के विधवा के रूप में अपनी जिंदगी काट रही है। वह जितना विक्रम से उस समय प्यार करती थी उतना ही आज भी प्यार करती है। आज भी जब दो लोग विक्रम के बारे में या विक्रम की बहादुरी के बारे में बाते करते हैं तो डिंम्पल का मन एक दम से गर्व से प्रफुल्लित हो जाता है। थोड़ा वह निराश भी होती हैं कि काश विक्रम खुद होते और लोगों के जुबानी अपनी वीरता की कहानियाँ सुनते। विक्रम की सभी यादों को बड़े ही जतन से सहेजकर रखे हुए हैं। और डिम्पल विक्रम के सहेजे हुए यादों के सहारे अपनी जिंदगी बिता रही हैं।   






वह दिल्ली के ही एक स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं। जो भी उनसे मिलता है और विक्रम बत्रा के बारे में पूछता है वो उनसे बड़े ही गर्व से कहती हैं कि हाँ मैं कैप्टन विक्रम बत्रा की प्रेमिका हूँ। अब शेरशाह फिल्म की वजह से अब देश का बच्चा बच्चा उनकी प्रेम कहानी के बारे में जान गया है। 






दोनों कहानियाँ बिल्कुल ही अलग है। एक प्रेम कहानी २२ साल पुरानी है। जिसे बीते हुए दो दशक हो गए हैं। और एक प्रेम कहानी कहानी अभी कुछ दिन ही पुरानी है। लेकिन दोनों कैसी भी हो, कितनी भी पुरानी हो, जब-जब इन्हे याद आएंगे अपने वो सुनहरे दिन एकदम ताजा घाव की तरह नए हो जाएंगे। तकलीफ नहीं पहुचायेंगे ऐसा तो बिल्कुल ही नहीं हो सकता है। यह प्रेम इन्हे जितना जीवन देगा, मजबूती देगा। अकेला पाने पर उतना ही कमजोर भी करता रहेगा। इसके बारे में हम कितना भी अच्छा कयास लगाए। लेकिन उनसे ज्यादा कोई भी नहीं जान सकता है। दोनों का दुःख लगभग एक जैसा ही है। उसने भी अपना प्यार खोया है और इसने भी अपना प्यार खोया है। बस फर्क इतना ही है कि एक २२ साल पुरानी और एक नई है। 

डिम्पल ने अपने प्यार को धीरे-धीरे अपूर्णता से पूर्णता की ओर से बहुत ही आगे तक ले जा चुकी हैं। उसी प्रकार शहनाज गिल भी समय के साथ अपने प्यार की अपूर्णता को, पूर्णता की ओर ले जाएंगी। जैसे जैसे आगे बढ़ेंगी अपने प्यार को एक नया आयाम देते चली जाएँगी। 

-BLOGGER अjay नायक 

www.nayaksblog.com





शहनाज गिल एक जगह पर एक प्रश्न के जवाब में कहती है कि "हम गर्ल फ्रेंड और बॉय फ्रेंड तो नहीं है। लेकिन हमारे बिच का रिस्ता इससे भी बढ़कर बहुत आगे का है।" सिद्धार्थ भी शहनाज से उतना ही प्यार करते थे जितना शहनाज गिल उनसे करती थी। दोनों ने कभी भी अपने प्यार को लोगों के सामने जग जाहिर नहीं किया। फिर भी दोनों के बिच का रिस्ता किसी नाम का मोहताज तो बिलकुल भी नहीं था। 

मिडिया और कुछ जानकारों का कहना है कि दोनों ने सगाई कर ली थी। बस कुछ ही महीनो में शादी भी करने वाले थे। वे दोनों शादी करते उससे पहले ही सिद्धार्थ का दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाती है। जिस प्रकार से शहनाज सिद्धार्थ के मृत शरीर से लिपटकर रोती है।  उससे बाते करती है। और वही नहीं, वह अभी भी, उस सदमे से बाहर निकल नहीं पायी है। अभी भी वैसे ही बे सुध जैसी पड़ी रहती है, जैसे पहले दिन पड़ी हुयी थी। खाना-पीना भी ठीक से नहीं खाती-पीती है। उसे, जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा है, कि सिद्धार्थ शुक्ला अब इस दुनिया में नहीं रहा। 




आप इस रिश्ते को कोई भी नाम दे सकते हो। आप इसे किसी भी सिमित दायरे में बांध सकते हो।  लेकिन हमारे हिसाब से यह एक अलग तरह का कुछ रिस्ता ही था।  यह सभी दायरों से आगे था। तभी तो शहनाज गिल के पिता और भाई ने सिद्धार्थ का टैटू अपने हाथों पर बनवाया। यह अपने आप में एक अलग तरह का किस्सा है। दूसरी तरफ बिना शादी के ही शहनाज गिल ने सिद्धार्थ के मृत्यु के उपरांत की सभी रस्मे निभाई। और आज भी सिद्धार्थ के घर पर ही है।  वहां पर उसकी देखभाल सिद्धार्थ की माँ कर रही है। 

उधर डिम्पल ने भी एक साक्षत्कार में बतलाया कि कैसे विक्रम लड़ाई पर जाने से पहले मेरी मांग में सिंदूर और मेरे दुपट्टे को पकड़ कर सात फेरे ले लिए थे। और लड़ाई पर जाते वक्त मुझसे कहा था कि अब आप डिम्पल चीमा से मिसेज बत्रा बन गयी हो। कारगिल युद्ध से वापस आकर बड़े ही धूम-धाम से हम शादी करेंगे। लेकिन कहते हैं ना किस्मत को जो मंजूर होता है या जो हमारे नसीब में लिखा होता है वही होता है। पहले तो डिम्पल चीमा के परिवार को यह रिस्ता मंजूर ही नहीं था। कैसे कैसे मंजूर हुआ और डिम्पल के परिवार वाले राजी हुए तो विक्रम बत्रा ही कारगिल युद्ध में शहीद हो गए।  





डिम्पल आज भी विक्रम की याद में जी रही है। उन्होंने शादी नहीं की। वो एकदम से खुद को विक्रम के लिए समर्पित करके विक्रम के विधवा के रूप में अपनी जिंदगी काट रही है। वह जितना विक्रम से उस समय प्यार करती थी, उतना ही आज भी प्यार करती है। आज भी जब दो लोग विक्रम के बारे में या विक्रम की बहादुरी के बारे में बाते करते हैं तो डिंम्पल का मन एक दम से गर्व से प्रफुल्लित हो जाता है। थोड़ा वह निराश भी होती हैं कि काश विक्रम खुद होते और लोगों के जुबानी अपनी वीरता की कहानी सुनते। 

वह दिल्ली के ही एक स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं। जो भी उनसे मिलता है और विक्रम बत्रा के बारे में पूछता है वो उनसे बड़े ही गर्व से कहती हैं कि हाँ मैं कैप्टन विक्रम बत्रा की प्रेमिका हूँ। अब शेरशाह फिल्म की वजह से अब देश का बच्चा बच्चा उनकी प्रेम कहानी के बारे में जान गया है। डिम्पल अब विक्रम के यादों के सहारे अपनी जिंदगी बिता रही हैं।  विक्रम की सभी यादों को बड़े ही जतन से सहेजकर रखे हुए हैं।  





दोनों कहानिया बिलकुल ही अलग है। एक प्रेम कहानी २२ साल पुरानी है। जिसे बीते हुए दो दशक हो गए हैं।  और एक प्रेम कहानी कहानी अभी कुछ दिन ही पुरानी है। लेकिन कैसी भी हो, कितनी भी पुरानी हो, जब जब इन्हे याद आएंगे अपने वो सुनहरे दिन एकदम ताजा घाव की तरह नए हो जाएंगे।  तकलीफ नहीं पहुचायेंगे ऐसा तो बिल्कुल ही नहीं हो सकता है। यह प्रेम इन्हे जितना जीवन देगा, मजबूती देगा।  अकेला पाने पर उतना ही कमजोर भी करता रहेगा। इसके बारे में हम कितना भी अच्छा कयास लगाए। लेकिन उनसे ज्यादा कोई भी नहीं जान सकता है। दोनों का दुःख लगभग एक जैसा ही है। उसने भी अपना प्यार खोया है और इसने भी अपना प्यार खोया है।

दोनों को देखकर एक चीज हम अच्छी तरह से जान गए हैं ! ये दोनों समय के साथ-साथ अपने प्रेम को अपूर्णता से पूर्णता की ओर ले जाएंगे ! जैसे जैसे समय बीतेगा इनका प्रेम धुंधला पड़ने की जगह सूर्य की लालिमा की तरह चमकते जाएगा!

-BLOGGER अjay नायक 

www.nayaksblog.com 









  







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