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Tuesday, 15 February 2022

हम बने हैं एक दूजे के लिए

 हम बने हैं एक दूजे के लिए





ऐसा क्या है हममे 
जो हमसे दूर दूर 
जा नहीं पाते हो !
हैं हम भी तो 
औरों जैसे ही !
हाथ पैरों के मिलाकर 
कुल बीस नाख़ून 
सर पर वही बाल,
उसमे लगा हुआ 
सरसों का तेल
जो महकता चहुओर 
वही हाथ वही पैर 
उनके बीच में 
वही बेढंगा फुला हुआ पेट 
फिर वो क्या चीज
जो खिंच लाती है, 
आस पास आपको हमारे ?
कहीं ऐसा तो नहीं 
हमी खींचे चले जाते हों 
धीरे धीरे तोरे ओर!
तेरी शालीनता ke बीच, वो  
तेरे आँखों की वो मस्तियाँ
तेरे गालों में पड़ने वाले खड्डे 
उसपर उभरती वो मंद मंद मुस्कान
तेरी मुचकाती बलखाती कमर 
उसके साथ साथ 
हवा me लहराते तेरे सुनहरे गेसुयें 
कहीं यही नहीं तो, हमे खींच लाती हैँ 
हर बार आपके आस पास पास।
जो भी है जब भी देखते हैं तुझे 
बस यही है देखकर लगता 
हम बने हैं एक दूजे के लिए
हम बने हैं एक दूजे के लिए । 
-BLOGGER अjay नायक 

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