बैठूंगा नहीं
आसान तो नही है ये, मगर
एक कोशिश करूंगा जरूर
लड़ते - लड़ते, जाऊँगा हार
लेकिन न हारूंगा कभी हिम्मत
बैठूंगा नही, कभी हार के डर से
एक नही, करूँगा कोशिशे हजार।
वैसे भी, यहाँ, वहाँ, कहाँ, क्या है आसान
सभी रास्ते भरे पड़े हैं मुश्किलों से
जिनमे हिम्मत है, साहस है
वे निकल पड़ते हैं, दम पर सुखाने समुंदर ।
हम भी तो उन्ही के हैं, अंश, वंशज
फिर कैसे हो सकते हैं उनसे कम
अपनी मेहनत, बाहुबल के बल पर
मंजिल फतह करने की, एक नही, हजार
करता रहूंगा हर बार ईमानदार कोशिश।
- अjay नायक 'वशिष्ठ'
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