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Sunday 20 March 2022

तुम्हारी अनुपस्थित मे


तुम्हारी अनुपस्थित मे 





प्रिये, आज बहुत काम किये हैं
तुम्हारी अनुपस्थित मे 
अब जाकर एहसास हुआ है हमे
तुम्हारे होने व न होने के बारे मे!

अभी तो आधा ही काम किये हैं
बदन टूटकर चुरा चुरा हो गया है
पूरा काम पूर्ण करने पर क्या होगा
ये सोचकर ही बुखार आ रहा है!

कैसे करती हो इतना सारा काम
कहाँ से लाती हो इतना हिम्मत
यहाँ तो फर्श पर पोछा मारते हुए
आ गये अपने  पड़ोसी मिश्रा जी। 

जो कभी नहीं थकते थे
हमारी बड़ी बड़ी बड़ाईंयां करने मे
अब आकर पूछना, एक बार, मेरे बारे मे
थानेदार क्या बनाएगा, चरित्र प्रमाणपत्र हमारा
जो वो अब बना देंगे, एक बार ही के, 
रूप देखने मे, चरित्र प्रमाणपत्र हमारा।

प्रिये, इतने में ही, हमारी हो गयी हालत ख़राब 
और एक तुम हो, पता नही किस मिट्टी की बनी हो
बच्चे दिनभर यहाँ वहाँ कुछ न कुछ गिराते पड़ाते रहते हैं,
लेकिन मजाल है जो मेरी तरह कभी चिढ़ी हो उनपर। 

अरे ! उनका तो छोड़ो, हमको ही ले लो
कार्यालय से आकर एक गिलास पानी 
ऐसे मांगते हैं, कि जैसे कहीं से जंग मे जीतकर आये हों 
तुम्हारे लिए लाये हों मोतियों के सुंदर हार।
 
और वहीं एक तुम हो,
अपनी दिनभर की सारी पीड़ा को बगल में रखकर 
जैसे हो, जहाँ हो, हो जिस रूप में, 
एक आहट भर पर ही,
 दौड़ी चली आती हो मेजबानी हमारी करने।  

मेहनत तुम भी करती हो, हम भी करते हैं
बस दोनों में फर्क इतना है एक दूसरे की मेहनत का 
तुम्हारी मेहनत निस्वार्थ होती है 
हमारी मेहनत दो रुपया लाती है। 
 
इसलिए अब तुम्हारा फ़र्ज है हमारी दासता करना,
लेकिन इन सब मे, हम ये, कब भूल जाते हैं, कि 
काम तो, तुम भी सुबह से लेकर रात तक करती हो
फिर तुम्हे कोई क्यों नही लाकर देता, एक गिलास पानी। 

कभी हारे, गाढ़े मांगने पर भी,
देने से पहले सुना देता है हर कोई
फिर भी तुम थोड़ा सा बोलकर, 
लग जाती हो क्यों? अपने काम मे। 

सचमुच मे लोग सही ही कहते हैं, कि 
अगर देखनी है त्याग की मूर्ति, तो
यहाँ वहाँ दौड़ धुप करके देखने की जगह 
खुद के घर मे ही जाकर देख लो। 

जिस उम्र मे हम अपना फिटनेस सही करते हैं
उस उम्र मे उनका, हक होने के बावजूद भी, 
उसे कर देती हैं बेढंगा। 

ये भी पता है उसके लिए मिलेंगे हजार ताने 
 फिर भी खुद की ख़ुशी को, बगल मे रखकर
सबकुछ बर्दास्त कर लेती हैं, 
सिर्फ हमारे परिवार के  लिए, सिर्फ हमारे लिए
ताकि उसका परिवार कभी न रहे तकलीफों में। 

प्रिये, आज बहुत काम किये हैं
तुम्हारी अनुपस्थित मे 
अब जाकर याद आया है हमे
तुम्हारे होने व न होने के बारे मे!
-अjay नायक 'वशिष्ठ'


2 comments:

  1. 👌👌Bahhhh is Kavita ka to jawab hi nahin hai koi word nhi mil raha hai is Kavita ke madhym sey km sey km ak stri jaati ko smghney ki kosis ki gyi hai smgha gya hai 😀🙏🙏

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