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Saturday 28 May 2022

भरोसा न छूटे


भरोसा न छूटे 



देख भरोसा न छूटे 
देख साथ न छूटे
तेरे ही भरोसे आज
यहाँ तक आयी हूँ
तू भी अगर मुझे
चला जायेगा छोड़ कर
बता, फिर मैं कहाँ जाउंगी!

दुनिया की 
सारी रस्मे
सारी कस्मे 
रीति रिवाज़ 
सब छोड़कर चली आयी हूँ
तेरे बाहों के दरमियान 
पाने के लिए वो पल।
और अब तू भी 
चला जा रहा है छोड़कर !

तुझे पता नहीं, मेरा 
वापस जाना यानि मौत!
ये भी आ जाए, 
तो ठीक है, लेकिन 
जीवन के बीच में 
सदा जाना अटक 
यानि है अच्छी मौत 

इसमें तो 
न नींद आएगी कभी
न चैन ही आएगा
सबसे पहले अपने ही
फेक देंगे हमे  
ज़ालिम दुनिया के बीच
गैरों का क्या है
वे तो तैयार बैठे 
एक तरफ से फेकवाएंगे
दूसरी तरफ गिद्ध बनकर
नोचकर खाने के लिए
हर जगह रहेंगे तैयार।

जो भी लेना निर्णय 
खुद से ज्यादा 
मेरे बारे में सोचना 
तू तो है पुरुष 
लोग खुद ही 
निकाल देंगे तुझे दलदल से 
एवज में मेरे !
इसलिए कह रही हूँ तुझसे 
देख एक तेरे ही
भरोसे पर सब आयी
हूँ छोड़ छाड़ कर
अब तू मेरा भरोसा
ना बोलकर न तोड़ना।
देख जीवन भले छूटे
कभी भरोसा न छूटे।
-अjay नायक 'वशिष्ठ'

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