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Wednesday, 21 September 2022

कॉमेडी का सम्राट

  कॉमेडी का सम्राट

आज सुबह ही कॉमेडी के वर्तमान सम्राट ऐसा हम बोल सकते हैं स्वर्गीय राजू श्रीवास्तव जी का लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। उनका जाना सिर्फ कॉमेडी जगत के लिए ही शून्यता का निर्माण करना नही है अपितु पुरे भारत वर्ष के लिए शून्यता का निर्माण करना है। क्योंकि उन जैसा वर्तमान समय में कोई कॉमेडियन पास तक नहीं दिखता है जो सिर्फ अपने नाम का एहसास करवाते ही चेहरे पर एक शुकून भी मुस्का, हंसी और ठहाकों का संचार कर जाता हो। ये खुभी राजू श्रीवास्तव में कूट कूट कर भरी हुई थी। तभी तो स्टेज पर उनकी आहट होते ही ऐसा लगने लगता था कि हमारी कोई गलती या हमारा कोई अंदाज राजू भईया के मुख पर कॉमेडी के रुप में विराजमान होकr हमारे सामने प्रकट हो रहा है। जो शर्मिंदा से ज्यादा हमे ही सबसे ज्यादा गुंदगुदाएगा, हसाएगा। और अंत में भुलाकर भेजेगा कि ये पंच तुम पर ही था।
उनकी आत्मा की शान्ति मिले और भगवान शिव उन्हे अपने चरणों में स्थान प्रदान करें ऐसी प्रार्थना भगवान शिव से करते हैं। और श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ये कुछ लाइनें उनपर जो शायद आप सभी को उनसे जोड़ सके।
।।ॐ शान्ति ॐ।।    
                    कॉमेडी का सम्राट
ठहाकों का संकठा, खुशियों का पुत्तन या गमों का गजोधर
इसके उलट ही, चलो लेते हैं बोल
गमों का पुत्तन, ठहाकों का गजोधर या खुशियों का संकठा
जो समझ लो, गजोधर, पुत्तन, संकठा
जेहन में नाम आते ही, याद आ जाते थे तुम
हमारे ठेठ देसी, गंवई, कनपुरिया राजू भईया ।

हमने भरी सभा में देखे हैं वो दिन
चाहे लालू के चेहरे की मुस्कान हो, या
विलास के चेहरे का वो ठहाका
उन्ही की बात को उन्ही से बोलकर
कर देते थे तुम पूरे देश को लोट पोट ।

ऐसा करिश्मा, कोई विरला ही, है कर पाता
किसी की कमी, उसी के मुंह पर बोलकर
सिर्फ आज के इस वर्तमान समय में
एक तुम ही पुरे महफिल में जाते थे बोल।

तभी तो थे, तुम ठहाकों के वर्तमान सम्राट
जहां लोग हंसाने के लिए, शहरो की ओर भाग रहे थे
एक तुम ही थे, जो गांव से होकर लोकल ट्रेन में, तो
लोकल ट्रेन से होकर गांव के बिच लगा रहे थे पंडाल।

राजू तुम सदा याद आओगे बहुत
पता नहीं, तुम्हारे वो तीन हीरो
तुम्हारी जगह को भर पाएंगे कि नही, लेकिन
इतना तो है, तुम्हारी अमरता का जीता जागता सबूत
सदा वही तीन देंगे, जिन्हे तुमने बना दिया अमर,
अरे! वो पुत्तन, संकठा, गजोधर ।
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

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