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Monday 10 October 2022

मुलायम सिंह जी की वो चार चीजें जो उन्हें भारतीय राजनीति में एक अलग पहचान बनाती है और समय के अनुसार उन्हें सर्वश्रेष्ठ नेताओं में सबसे ऊपर रखती है :

मुलायम सिंह जी की वो चार चीजें जो उन्हें भारतीय राजनीति में एक अलग पहचान बनाती है और समय के अनुसार उन्हें सर्वश्रेष्ठ नेताओं में सबसे ऊपर रखती है :

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उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा भारतसरकार के पूर्व रक्षामंत्री दिवंगत मुलायम सिंह यादव जी का आज सुबह गुरुग्राम के मेदांत अस्तपताल में 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे अपने पीछे आज के समय में भी उतनी ही सार्थक राजनीति की वो पुस्तक छोड़कर गए हैं जिसे जितना पढ़ा और समझा जाए आज के नौजवान राजनेताओं को उनके जितना तो नहीं लेकिन आसपास तो जरूर पहुंचा जाएगी। और अगर वे थोड़ी और मेहनत करें तो उनसे भी आगे भी ले जा  सकती हैं। और ये आज के राजनीती के परिपेक्ष्य में जरुरी भी है। वो भी तब, जब राजनीती सिर्फ एक लेबल बनकर आपसी दुश्मनी तक पहुँच जाती हो। इस प्रकार के कार्यों को अंजाम देने वालों को दिवंगत मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक जीवन सफर से समझना होगा कि कैसे राजनीति करके विचारों के दुश्मन को किनारे लगाया जाता है।  इसी के बल पर तो वे ८ बार विधायक तीन बार संसद का सफर तय किये। केंद्र में रक्षामंत्री रहे और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री भी रहे। अगर लालू प्रसाद यादव ने खेल नहीं खेला होता तो वे प्रधानमंत्री भी होते। और उनके आजतक के राजनीती के सफर से अंदाजा लगाकर यह कह सकते हैं कि अगर वे उस समय आय के गुजराल की जगह प्रधानमंत्री बने होते तो शायद ही उस समय बनी सरकार गिरी होती। वे अपने पुरे अनुभव से पांच साल न सही लेकिन इतनी जल्दी सरकार कभी नहीं गिरने दिए होते। और भारत के एक सफल प्रधानमंत्री के रूप में अपना नाम दर्ज करवा लिए होते। क्योंकि उन्हें काम कारवाना बखूभी आता था। जिसकी झलक आप उनके उत्तरप्रदेश में शासन के कार्यकाल को देख सकते हो। रक्षामंत्री के कार्यकाल को भी देख  सकते हो कैसे उन्होंने अपने दो साल के छोटे से कार्यकाल में रक्षा से संबंधित बड़े बड़े निर्णय लिए। आईये हम उनकी उन चार चीजों के बारे में बात करते हैं जो उन्हें भारतीय राजनीति में एक अलग स्थान प्रदान करती हैं। इसी के बल पर वे 82 वर्ष की आयु में भी भारतीय राजनीति में छाये हुए थे। एक अलग पहचान बनाकर अपनी अमिट छाप छोड़ रहे थे। 


 



1) समय की नजाकत को परखना और उस हिसाब से निर्णय भी लेना और  टिके भी रहना  :  

दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव जी समय की नजाकत को बखूभी समझते थे। इसके सबसे बड़ा दो उदाहरण है उनकी और मोदी जी के बिच का सम्बद्ध। दूसरा भाजपा से गठबंधन करना। मोदी और मुलायम दोनों अलग अलग ध्रुव की राजनीति करते हैं। एक को हिंदूंओ का सम्राट कहते हैं तो दूसरे को मुसलमानो का सबसे बड़ा हितैषी। फिर भी दोनों ने इस अलग अलग विचारधारा को अपने काम और सम्बन्ध के आगे कभी नहीं आने दिया। तभी तो गुजरात  के जंगलो में सैफई के टाइगर पहुँच जाते हैं। और मोदी जी बड़े गर्व से बाहगाहे गुजरात को टाइगर देने के लिए मुलायम सिंह यादव जी की खुले मंच से तारीफ करने एवं धन्यवाद देने के मौके को कभी नहीं भूलते हैं। इसी वजह से मुलायम जी को भी जब भी मौका मिला मोदी जी को सैफई बुलाने से नहीं चुके। भले ही निमंत्रण नरेंद्र मोदी जी को उनके प्रधानमंत्री बनने पर ही क्यों न दिया हो। दूसरा है मुलायम सिंह के द्वारा मौके की नजाकत को समझते हुए भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिलाना भी और अपने मुस्लिम वोटर को समझा भी ले जाना। जैसे ही मौका मिला बसपा से नाराज नेताओं के समर्थन एवं निर्दलीय विधायकों के बल पर अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनवा लेना। ऐसे बहुत से उदाहरण नेताजी के जीवन में मिल जायेंगे जहाँ उन्होंने समय की नजाकत के हिसाब से फैसले लिए ही नहीं उसमे सौ प्रतिशत सफल भी हुए। 


 




2) बाबरी विध्वंस के समय अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाना :

यह उनके द्वारा लिया गया यह सबसे बोल्ड और सबसे खतरनाक निर्णय था। वो भी उस समय जब वे अपनी नयी पार्टी का निर्माण करके भारतीय राजनीति में एक अलग पहचान बना रहे थे। उनके  इस एक निर्णय से उनके द्वारा बने बनाई गयी समाजवादी पार्टी ही नहीं उनका पूरा राजनितिक कैरियर ही ख़त्म हो सकता था। यह निर्णय लेते वक्त उन्हें भी अंदाजा रहा होगा लेकिन थे तो एक शिक्षक के साथ पहलवान ही, कुश्ती के दांव पेंच पूरी तरह जानते थे। उन्हें पता था कि अगर सामने वाले को हराना है तो दांव खेलना ही होगा भले वह सफल हो या न हो। यही चीज उनके द्वारा कारसेवकों पर गोली चलाने के समय निर्णय लेने में काम भी आयी। और जिसका अंदाजा उस समय के बड़े बड़े राजनीती के विश्लेषकों ने भी नहीं लगाया था।  हुआ वही मुलायम सिंह यादव मुसलमानो के बिच उनका मसीहा बनकर उभरे। वहीँ कांग्रेस जो कि केंद्र में बैठकर एक सेफ गेम खेलकर अपने आप को दोनों के बिच बनाये रखने की पारी खेल रही थी। दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव ने अंतिम बोल पर छक्का मारकर कांग्रेस के सेफ गेम की धज्जिया ही नहीं उड़ाई। उत्तर प्रदेश से पूरी तरह से धीरे धीरे सफाया ही कर दिया। मुलायम सिंह के द्वारा इस लिए गए निर्णय से उनके हिन्दू वोट पर जितना असर करने की आशंका थी उसका 10 प्रतिशत भी असर नहीं हुआ। और वे और मजबूती से उत्तरप्रदेश के राजनीति के पटल पर उभर कर सबके सामने आये। 


 



3) चीन की चालबाजियों को पहचानकर सेना के लिए आधुनिक हथियारों पर निर्णय लेना और साथ में सेना में नए सुधार लाना :

नेताजी जब रक्षा मंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहले चीन की चालाकियों को पहचाना ही नहीं एक बार फिर से चीन के द्वारा पूर्वी क्षेत्र में किये जा रहे धूर्तता पूर्व कार्यों को लोगों के सामने लाकर सेना को पूर्वी क्षेत्र में और मजबूत करने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने अपने दो साल के छोटे से कार्यकाल में सेना के लिए आधुनिक हथियारों को लेने की मंजूरी दी। उनके उसी निर्णय के तहत उनके कार्यकाल में सुखोई 30 लेने की डील हुयी। वे हिंदी भाषा के सबसे बड़े हितैषियों में से एक थे। रक्षामंत्रालय में पहले पूरा काम अंग्रेजी में होता था। उनके रक्षामंत्री बनते ही उन्होंने रक्षामंत्रालय में अब सारे कामकाज हिंदी में होंने का निर्णय लिया। और यह निर्णय लेने वाले वे पहले रक्षामंत्री बने। और सिर्फ निर्णय ही नहीं लिया अपने कार्यकाल में शुरू भी करवा दिया। इसके साथ ही रक्षामंत्री रहते समय उनके द्वारा लिए गए एक और निर्णय की बात होती रहेगी। पहले युद्ध के समय या किसी घटना में  शहीद होने वाले सेना के जवानो के पार्थिव शरीर को उनके घर वालों को नहीं दिया जाता था। उनका वहीँ अंतिमसंस्कार करके उनकी टोपी घर पर पहुंचा दी जाती थी। लेकिन मुलायम सिंह ने इस निर्णय को पलटकर एक नया निर्णय जारी किया कि अब सरकारी खर्चों पर शहीद जवानो के पार्थिव शरीर को उनके घर तक पहुँचाया जाया जायेगा। यही नहीं उस जिले के कलेक्टर और एसपी के देख रेख में शहीद का अंतिम संस्कार किया जायेगा। उनके इसी निर्णय का फल है कि आज शहीद का पार्थिव शरीर उसके अपने लोंगो के पास पहुँचता है। 


 



4 ) अखिलेश को अपने सामने ही गद्दी देना : 

वे राजनीति के इतने मजेदार खिलाड़ी थे कि वे भविष्य में क्या हो सकता है उसका अंदाजा वर्तमान में लगा लेते थे। तभी तो उन्होंने अपने जीवन में बोल्ड फैसले लेने से कभी पीछे नहीं हटे। या आप यह कह सकते हैं कि उनके द्वारा लिया गया फैसला ही भविष्य है। अपने राजनीति जीवन में उन्होंने बहुत बार अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मारी। ऐसा उस समय उनके द्वारा लिए गए फैसलों से आप खुद भी अंदाजा लगा सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषक तो लगाएंगे ही। क्योंकि वे निर्णय ही ऐसे लेते थे। चाहे गुजरात को टाइगर देने की बात हो या भाजपा से गठबंधन करने की बात हो या रक्षामंत्री रहते रक्षा क्षेत्र को आधुनिक करने की बात हो।  वे हमेशा बोल्ड निर्णय लेने में कभी नहीं चुके। उसी बोल्ड निर्णय लेने के आदत की तरह एक और निर्णय लिया। उत्तरप्रदेश में बहुमत से ज्यादा रिकार्ड बहुमत आने के बावजूद भी उन्होंने अपने नेतृत्व में लड़े उत्तरप्रदेश के चुनाव को जितने के बाद अपने पुत्र अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लेना। उनका यह निर्णय भी लोगों को चौका गया। लेकिन इसबार राजनीती के धुरंधर विश्लेषक जान गए कि मुलायम सिंह यादव ने अपने पैर कुल्हाड़ी नहीं मारी है। अपने रहते ही अपने पुत्र को सर्वमान्य नेता बना रहे हैं। क्योंकि उन्हें पता था भले लोग आज उनके सामने कुछ नहीं बोलते हैं लेकिन उनके न रहने पर उनकी पार्टी में कई दावेदार खड़े हो जायेंगे तब उनके पुत्र को उनके सामने खड़े होने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। और हुआ भी चुनाव हारते ही सब अखिलेश यादव पर टूट पड़े। लेकिन तबतलक बहुत देर हो चुकी थी। और अखिलेश यादव अपने पैर समजवादी पार्टी में अंगद की तरह जमा चुके थे। और ये सब हो पाया था उनके पिता मुलायम सिंह यादव के द्वारा सही समय पर उन्हें गद्दी सौपने की वजह से। 


 


  दिवंगत मुलायम सिंह के द्वारा लिए गए इन्ही बोल्ड फैसलों की वजह से उन्हें भारतीय राजनीती में एक स्थान बनाते हैं। और लोग उन्हें नेताजी के नाम से सम्बोधित करते हैं।  बहुत काम लोग होते हैं जो इस प्रकार से बोल्ड निर्णय ले पाते हैं।  और बोल्ड निर्णय सिर्फ लेते ही नहीं हैं उसे पानी खाद देकर बड़ा भी करते हैं। जो आगे चलकर निश्चय ही फल भी प्रदान करता है। नहीं तो भारत के अन्य राज्यों में आप देख सकते हैं कि कैसे मुलायम सिंह से भी बड़े बड़े राजनेता अपने सामने ही अपने घोषलों को टूटते हुए देख चले गए या देख रहे हैं। लेकिन मुलायम सिंह यादव इन सब  से एकदम अलग थे। वे आम जनमानस के दिलों में सालों साल रहेंगे।  वे सचमुच में लोगों के नेताजी थे। 

-अjay नायक 'वषिष्ठ'

 www.nayaksblog.com










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