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Wednesday, 12 October 2022

चल पड़े तो चल पड़े

 चल पड़े तो चल पड़े

अब रूककर क्या फायदा ह

जो पहले करना था वो किए नही

अब खुद को कोशने से क्या फायदा?


उतरे हैं तो लड़ेंगे भी और मारेंगे भी, लेकिन 

अब जो भी होगा, युद्ध के मैदान में होगा

छह गज के कपड़े में लिपटे, चार कंधो पर आयेंगे

इससे ज्यादा खुद के साथ कुछ न होगा


यह सब सोचना या देखना था तो

बड़े बुजुर्गों की बात पहले मान लेनी थी 

निकलने से पहले खुद के साथ होने वाले

सभी परिणामों के बारे में सोच लेनी थी 


चल, उठकर हो जा खड़ा

दुनिया में एक तू ही नहीं है बेबस

जितनी तरफ, जितनी बार नज़र घुमाएगा

हर तरफ, तुझ जैसा एक बेबस नजर आएगा 


हर बार अर्जुन को साथ न मिलता कृष्ण का

आज तुझे मिला है एक कृष्ण जैसा सारथी

भुना ले मिले जीवन में इस मौके को

तुझ जैसा नसीब नही होता, हर भक्त का 


लड़ ऐसा कि रुंह काप जाए मौत की भी

तुझे छूने से पहले वो भी सोच में पड़ जाए

कुछ देर पहले ये सचमुच में मैदान से भाग रहा था

या तांडव से पहले का एक माहौल बना रहा था!


चल पड़े तो चल पड़े

अब रूककर क्या फायदा ह

जो पहले करना था वो किए नही

अब खुद को कोशने से क्या फायदा?

–अjay नायक ‘वशिष्ठ


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