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Thursday 13 October 2022

गिरकर खड़ा होना भी कला है!

 गिरकर खड़ा होना भी कला है!


गिरकर खड़ा होना भी कला है

ये हुनर किसी में भी नही होता है

बस खुद को थोड़ा सा समझकर

खुद पर विश्वास करना पड़ता है


हिमालय कहां कहता है कि

मैं ही हूं दुनिया में सबसे ऊंचा

बस हम ही उसे नही पाते हैं नाप, इसलिए 

पूरा इल्जाम मढ़ देते हैं उसके सर 


समुंदर कहां कहता है कि

मैं ही हूं दुनिया में सबसे गहरा

उसकी गहराई का नही लगा पाते हैं थाह, इसलिए 

पूरा इल्जाम मढ देते हैं उसके सर 


जरुरी नहीं कि हर बार अर्जुन को

सारथी ही मिले भगवान कृष्ण जैसा

कभी कभी मायाजाल के भवर में फंसे

अर्जुन को भी, खुद का है सारथी बनना पड़ता


तू फिकर किस चीज का कर रहा है

कृष्णा जैसा सारथी नही, इसलिए

भले कृष्ण जैसा सारथी नही है तेरे पास, लेकिन

तेरे सभी यार, कृष्णा से कम भी नहीं 


चल उठकर, उदासी को देकर तिलांजलि

सकारात्मकता को घर में दे एक छोटा कोना 

देखना सकारात्मकता का वो छोटा बीज

फसल बन, तेरे जीवन को लहलहा देगा 

–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

www.nayaksblog.com


2 comments:

  1. वाह वाह....सकारात्मकता कूट कूट कर भरी हैं सर! बहोत खूब!

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