जूता
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काश! दूसरों के मुंह पर जूता फेंकने वाले
वही एक जोड़ी के जूते,
किसी नंगे पैर वाले व्यक्ति के सामने फेंके होते,
उसके पैरों में कभी छाले नहीं पड़ते!
उसके पैर भी हर मौसम में
औरों की तरह उड़ान भरते!
वह भी औरों की तरह चहचहाते हुए
यहां वहां की उड़ान भरते!
खुद भी पहनते
अपने पूरे परिवार को पहनाकर
पूरे गांव भर की सैर करवाते !
बच्चों का तो अलग ही मजा होता
बड़ा है या छोटा
ये कभी नहीं देखते
बस में घुसेड़कर एक चक्कर
यहां वहां की लगा आते!
और तो और
नए फैशन में
खेल के मैदान पर खींचे रेखा पर
उसे लगाकर उसका मान बढ़ा देते!
काश! दूसरों के मुंह पर जूता फेंकने वाले
वही एक जोड़ी के जूते,
किसी नंगे पैर वाले व्यक्ति के सामने फेंके होते,
उसके पैरों में कभी छाले नहीं पड़ते!
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’
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