गंगा मईया
गंगा मईया के बैठ तीरे
शांत, निःशब्द होकर
मईया को निहार रहे थे,
और साथ मे पूछ रहे थे
हे मईया......
कितना करती हो हमारे लिए,
ऊँचे ऊंचे पहाड़ों से निकलकर
कंकड़ पत्थरों के बीच से होकर
बलुहट चिकनी मैदानों से बहकर
विलीन हो जाती हो गंगासागर में।
सिर्फ और सिर्फ इसलिए
कि बच्चें, प्यास और भूख से न मर जाये।
खुद कंकड़, पत्थरों से चोट खा-खाकर
अपने तीरे बैठे, बच्चों के कानों में
गीत की मधुर मीठी धुन घोल जाती हो।
सिर्फ और सिर्फ इसलिए
कि बच्चें, रातों को चैन से सो सके घरों में।
सचमुच में.........
मईया अद्भुत है तेरी महिमा
मईया अद्भुत है तेरा प्यार
तेरा यह उपकार
हम, कभी न चुका पाएंगे
जितना तूने दिया
उतना हमे कोई न दे पाएगा
और न हम तुझे लौटा पाएंगे।
- BLOGGER अjay नायक
maa to maa hoti h chahe gangya maiya dharti maiya ya hamari maiya
ReplyDeleteसही कहा मित्र
DeleteVery nice my dear
ReplyDeleteTHANKS JI
DeleteVery nice my dear
ReplyDeleteTHANKS JI
Deleteसही कहा आप ने भईया
ReplyDeleteTHANKS
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