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Saturday, 22 August 2020

गंगा मईया

गंगा मईया

GANGA

गंगा मईया के बैठ तीरे 
शांत, निःशब्द होकर 
मईया को निहार रहे थे,
और साथ मे पूछ रहे थे 
हे मईया......
कितना करती हो हमारे लिए,
ऊँचे ऊंचे पहाड़ों से निकलकर 
कंकड़ पत्थरों के बीच से होकर
बलुहट चिकनी मैदानों से बहकर
विलीन हो जाती हो गंगासागर में।
सिर्फ और सिर्फ इसलिए
कि बच्चें, प्यास और भूख से न मर जाये। 

खुद कंकड़, पत्थरों से चोट खा-खाकर 
अपने तीरे बैठे, बच्चों के कानों में 
गीत की मधुर मीठी धुन घोल जाती हो।
सिर्फ और सिर्फ इसलिए
कि बच्चें, रातों को चैन से सो सके घरों में।

सचमुच में.........
मईया अद्भुत है तेरी महिमा
मईया अद्भुत है तेरा प्यार
तेरा यह उपकार
हम, कभी न चुका पाएंगे
जितना तूने दिया
उतना हमे कोई न दे पाएगा
और न हम तुझे लौटा पाएंगे।
     - BLOGGER अjay नायक

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