एक महिला जितना मजबूत कोई नही
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अभी दो महीने पहले हम एक कार्यक्रम में गये थे। जो कि एक एक संगठन राम सेना के द्वारा नारी सम्मान के रूप में आयोजित की गयी थी। उन्होंने उस कार्यक्रम का नाम "नारी तू ही नारायणी" रखा था . सचमुच में हमे यह नाम एकदम से अछा ही नहीं लगा, हमे लगा कि इससे भी अच्छा इस कार्यक्रम का कोई और नाम हो ही नहीं सकता था। इस धरती यानि इस जीव लोक की नारी ही तो नारायणी है। हम सभी को पता है बैकुंठ वासी भगवान विष्णु पूरी सृष्टि का पालन करते हैं। ठीक उसी तरह इस धरती लोक की नारायणी यानि एक महिला अपने कूल खानदान समाज का पालन पोषण करती है। यह सच है कि पुरुष बाहर से कमा कर लाता है तभी भी वह खर्च कर पाती है। लेकिन यह भी सच्चाई है कि वह कम लाये या ज्यादा लाये उसे उतने में ही खर्च करने का जिम्मा भी वही उठाती है। कम रूपये या संसाधन घर में उपलब्ध न होने पर भी वह अपने दिमाग और परिवार सम्हालने के कौशल से पुरे परिवार को एहसास ही नहीं होने देती है कि इस बार रूपये या संसाधन बहुत ही कम थे. बस वह अपनी सूझ बुझ से आर्थिक रूप से कमजोर हो चुकी जीवन रूपी नईया को इस विश्वास में भॅवर से बचाती हुयी निकालती चली जाती है कि अगर नाव पर सवार सभी लोग किनारे पहुँच जाएंगे तो हमारा उत्थान होने से कोई नहीं रोक पायेगा। और यह विश्वास सबसे ज्यादा महिला में ही पाएगी। फिर भी लोग उसे कमजोर समझते हैं। अबला समझते हैं। सोचते हैं कि वह चार दीवारी में रहती है इसलिए उसका न तो बौद्धिक विकास हो पाता है और न ही सामाजिक विकास हो पाता है। वह अपने से ज्यादा कुछ सोच ही नहीं पाती है।
प्राचीन काल से ही हजारो लाखों ऐसे उदाहरण मिलेंगे जहां पर महिलाये सिर्फ आगे ही नहीं आयी अपने आपको पुरुषों से अच्छा करने की इच्छा व अच्छा करके दिखलाया भी। समुन्द्र मंथन के समय क्षीर सागर से निकले अमृत कलश को राक्षसों से बचाने के लिए भगवान् विष्णु को एक महिला मोहनी का रूप धारण करना पड़ा था। क्योंकि उन्हें पता था कि एक महिला ही राक्षसों से अमृत कलश को अच्छे से बचा सकती थी। जबकि वह स्वयं वह कार्य उतने अच्छे अच्छे से भगवान् होने के बावजूद नहीं कर सकते हैं। राजा दशरथ सब लड़ाई हार रहे थे तब उनकी धर्म पत्नी ने आगे आकर उनके साथ मिलकर वह लड़ाई लड़ी ही नहीं उसे जितने में सबसे अहम योगदान भी भी दिया। रानी लक्ष्मी और रजिया सुलतान ने अपने पति और पिता के मौत के बाद सिर्फ राज काज ही नहीं सम्हाला। अपने विरोधियों से अपने राज्य ,अपने सल्तनत को बचने के लिए दो दो हाथ भी किये। जीजा बाई ने अपने पुत्र शिवा को स्वराज्य का महत्त्व समझाया जो आगे चलकर छत्रपति शिवाजी महाराज बना। और अपने पिता के स्वराज्य के सपनो को पूरा किया। आज से १५० साल पहले जब महात्मा फुले समता का दीपक जला रहे थे। और इसी के द्वारा वे महिलाओं को भी पढ़ने का अधिकार दिलाने के लिए उन्हें पढ़ाना चाहते थे तब वे उस समय के समाज के ठेकेदारों के आगे असफल हो चुके थे। तब उनकी धर्म पत्नी सावित्रीबाई फुले
ही थी जो हार रहे ज्योतिबा का सिर्फ हौसला ही नहीं बढ़ा रही थी जब जरूरत पड़ी तो
आगे आकर महिलाओं को शिक्षित करने का उस समय का सबसे कठिन कार्य करने का बड़ा उठाया था. जिस कार्य में उनके पति पुरुष होते हुए भी सफल नहीं हो पा रहे थे। और तमाम प्रकार के उलाहनों के बिच से अपने आप को गुजारती हुयी उसमे सफलता भी पायी
. साथ ही ज्योतिबा के समाज सुधार के कार्यक्रम को सफल ही नही उसे आगे बढ़ाने में मदत भी किया. और आज उन्ही की देन है कि बड़े से लेकर छोटे से घर की लड़कियां और महिलाएं पढ़ लिखकर आगे बढ़ रही हैं।
इतिहास से लेकर आज तक आपको रोज पता नहीं कितनी कहानियां उनसे सम्बन्धित मिल जायेगी। जहां वे अपने आप को पुरुषों से सरस साबित करते हुए दिखेंगी। फिर भी उन्हें वह मुकाम नहीं मिल पाता है जो पुरुषों को बिना कुछ किये ही मिल जाता है। आज भी हम देखेंगे की वह उसी रजिया सुलतान की तरह अपने सल्तनत को बचाने का प्रयास करती हुयी मिल जाएंगी जिसकी वह सही मायनो में हकदार हैं। पुत्र न होने के कारण अपने पिता की सम्पती का असली वारिश हैं। लेकिन लोग उसे उसका यह अधिकार उसे तब भी नहीं देना चाहते हैं और आज भी नहीं देना चाहते है। उसे तब भी अपना हक पाने के लिए अपने लोगों और अपने समाज से लड़ना पड़ता था और आज भी उसे अपने हक के लिए लड़ना पड़ता है। तभी तो " नारी तू नारायणी" के कार्यक्रम में एक रिक्शा चलने वाली ५० साल की औरत पुरुष्कृत होने के पर उनके आँख से आंसू आ जाते हैं। और अपनी दिनचर्या के बारे में बताते हुए कहती है कि लोगों की नजर आज भी अच्छी नहीं रहती है। अगर हम अपने आस पास ध्यान से देखें तो हमारे आस पास ही बहुत से वाकये ऐसे मिल जाएंगे। और बिना उसके बारे में कुछ जाने बहुत कुछ बोल जायेंगे। क्योकि वह स्वतन्त्र रूप से बाहर निकलती है। वह अपने सभी काम यानि रहने पहनने से लेकर खाने तक के सभी कार्य स्वतन्त्र तरीके से एक पुरुष की तरह करती है।
एकदम सही बात है
ReplyDeletethanks bhai
DeleteSach me ladies bahut strong hoti hai excellent ajay sir
ReplyDeleteji sahi kaha aapne
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जी
ReplyDeletethanks ji
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